रायपुर। खेती-बाड़ी से जुड़े किसानों के लिए कृषि यंत्र उपलब्ध कराने केंद्र सरकार द्वारा रफ़्तार योजना का संचालन किया जाता है। इसके तहत छत्तीसगढ़ शासन को पिछले वर्ष आबंटित 20 करोड़ रूपये से गौठानों में खरीदी की गई, वहीं इस बार मिले 30 करोड़ रुपयों से गौठानों में प्रोसेसिंग सेंटर के लिए मशीनों की खरीदी की तैयारी कर ली गई है, वह भी 4 गुना ज्यादा कीमत पर।
गौठानों में खुल रहे हैं प्रसंस्करण केंद्र
कृषि विभाग द्वारा बीज निगम के माध्यम से रफ्तार योजना के फंड से इस बार गौठानों में प्रसंस्करण केंद्र (PROCESSING CENTRE) की स्थापना की जा रही है, जहां मिनी आयल मिल, दाल मिल, मिनी राइस मिल और आटा चक्की लगाए जायेंगे। इस संबंध में जिलों में पदस्थ कृषि विभाग के उप संचालकों को जारी पत्र में जिलावार लक्ष्य की जानकारी दी गई है। जिसके मुताबिक एक प्रसंस्करण केंद्र के लिए 8 लाख रूपये मुहैया कराया जा रहा है, यानि 4 मशीनों के लिए 8 लाख रूपये दिए जायेंगे।
विभाग में नहीं है कोई RC
कृषि विभाग द्वारा ये खरीदी बीज निगम के चैंप्स CHAMPS माध्यम से की जाएगी जबकि प्रसंस्करण केंद्र में लगने वाली चारों मिलिंग मशीनों का बीज निगम से कोई RC याने रेट कॉन्ट्रैक्ट ही नहीं है। वहीं चैम्प्स के पोर्टल में इन मशीनों की खुले बाजार में बिक्री के लिए अधिकतम मूल्य (MRP) को दर्शाया गया है और इसी दर पर मशीनों की खरीदी के लिए कृषि विभाग तैयार हो गया है। ऐसे में मशीनों की MRP के आधार पर कीमत कुल 8 लाख रूपये कैसे तय की गई है, इस पर सवाल उठने लगे हैं।
TRP न्यूज़ के पास जो जानकारी उपलब्ध है, उसके मुताबिक चारों मशीनों की कुल कीमत बमुश्किल डेढ़ लाख रूपये है, मगर विभाग द्वारा चारों मशीनों मिनी आयल मिल, दाल मिल, मिनी राइस मिल और आटा चक्की की कीमत कुल 8 लाख रूपये तय की गई है। आखिर यह दर कैसे तय की गई यह समझ से परे है।
निजी और सरकारी खरीदी की दर अलग-अलग
दरअसल CHAMPS में मशीनों की निजी खरीदी की दर अंकित होती है, याने किसान इन दरों के आधार पर संबंधित एजेंसियों में जाकर मशीन की मोलभाव करके खरीदी कर सकते हैं। मगर सरकारी खरीदी की दर इससे कम होती है। बावजूद इसके कृषि विभाग द्वारा चार गुना कीमत पर खरीदी तय की गई है।
सीएम की फ्लैगशिप योजना को लगा रहे हैं चूना
इस तरह केंद्र से मिले 30 करोड़ रु की अफरा-तफरी की पूरी योजना तैयार कर ली गई है। राज्य सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वपूर्ण फ्लैगशिप योजना के लिए प्रोसेसिंग मशीनों की खरीदी सही दर पर करते हुए बचत राशि का इस्तेमाल दूसरी चीजों पर किया जा सकता है, मगर ऐसा करने की बजाय अधिकारी इस योजना की आड़ में कमाई को आतुर हैं। सोचने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री की फ्लैगशिप योजना में भी भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लग पा रहा है। ऐसे में दूसरी योजनाओं का क्या हाल होगा ये अच्छी तरह समझा जा सकता है।