प्रांतीय वॉच

25 दिन पूरे हुए, न जांच का पता न रिपोर्ट का…सीएमएचओ को जांच रिपोर्ट देने में देरी

बालोद। कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए 29 लाख की सेनेटाइजर डील में गड़बड़ी की शिकायत के मद्देनजर चल रही जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है। मामले का खुलासा होने के बाद गठित तीन सदस्यीय समिति को जांच सौंपे हुए 25 दिन से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन अब तक न जांच का पता है और न ही जांच रिपोर्ट का। जांच में हो रही देरी की वजह से कार्रवाई नहीं हो पा रही है। मामले की जांच के लिए गठित की गई तीन सदस्यीय समिति न तो भंग की गई है और न ही समिति जांच कर रही है। जबकि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ शैलेंद्र मंडल का जिला स्टोर अधिकारी डॉ पीएल मेरिया की अध्यक्षता में बनी कमेटी को 31 मई तक जांच रिपोर्ट देने के निर्देश थे, बावजूद इसके जांच में हीलाहवाली की जा रही है।

गड़बड़ी की अंगुली उठने के बाद दिए गए है जांच के आदेश

बता दे कि खंड चिकित्सा अधिकारी बालोद द्वारा डीएमएफ फंड से सेनेटाइजर खरीद, वितरण में गड़बड़ी की अंगुली उठने के बाद सीएमएचओ डॉ मंडल ने प्रकरण की जांच के आदेश दिए। इसके लिए जिला स्टोर अधिकारी सहित स्टोर कीपर एवं प्रभारी लेखापाल के साथ ही तीन सदस्यीय टीम गठित की गई। सीएमएचओ के निर्देश थे कि जांच कमेटी 31 मई तक जांच पूरी करके रिपोर्ट उनको उपलब्ध करा दें, ताकि अग्रिम कार्रवाई की जा सके।

नहीं हो गड़बड़ी का खुलासा इसलिए जांच में कर रहे देरी

सीएमएचओ द्वारा 25 मई को गठित जांच समिति को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। लेकिन अब तक सदस्यों द्वारा न तो कोई बैठक बुलाई गई, न ही जांच के कोई बिंदु तय हो पाए हैं। जबकि शिकायतकर्ता के द्वारा आरटीआई से प्राप्त प्रमाणित दस्तावेजो के साथ 9 बिंदुओं पर शिकायत प्रस्तुत किया गया है। सूत्र बता रहे कि सदस्य से लेकर अधिकारी सभी पल्ला झाड़ रहे हैं। इसके चलते मामला अब तक अटका हुआ हैं।

जांच कमेटी की धीमी चाल कई सवाल खड़े कर रहे

सेनेटाइजर खरीद, वितरण में गड़बड़ी की बात शुरु से उठायी जा रही है लेकिन आज तक जांच प्रक्रिया पुरी नहीं हो सकी है। जांच आदेश के 25 दिन पुरे हो जाने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई है और कार्रवाई के नाम भी विभाग ने कोई सख्त कदम नहीं उठाये है। जांच कमेटी की धीमी चाल कई सवाल खड़े कर रहे हैं। गड़बड़ी की जांच कछुआ चाल को भी मात दे रही है। खास बात यह कि मामले से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी का अब तक बयान भी दर्ज नही किया जा सका है। जांच में शिकायतकर्ता को न तो शामिल किया जा रहा न ही कुछ बताया जा रहा है।

दिशा की बैठक में भी सुनाई दे चुकी है मामले की गूंज

सेनेटाइजर खरीद वितरण में गड़बड़ी की गूंज जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) में भी सुनाई दे चुकी है। शिकायत बाद मामले में सरकारी खंडन भी आ चुका है, हालांकि जारी खंडन में आंकड़ो की बाजीगरी एवं आडिट के दावे की जनता की ख़ुसूर फुसुर बैंड बजा चुका है। दरअसल बीएमओ बालोद द्वारा खंडन कर बताया गया कि जुलाई 2021 तक सेनेटाइजर क्रय, वितरण एवं भुगतान आडिट किया जा चुका है, जबकि सेनेटाइजर सप्लाई करने वाले फर्म को अंतिम 14,75,000.00 राशि का भुगतान अगस्त माह में किया गया है। मतलब भुगतान का आडिट भुगतान से पहले

लोकायुक्त संगठन और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ स्तर तक जाएगा मामला

शिकायतकर्ता का कहना है कि मामले की शिकायत आरटीआई से प्राप्त प्रमाणित दस्तावेजो के आधार पर हुई है। बावजूद इसके जांच में विलंब किया जा रहा है, अगर ऐसा ही रहा तो पूरे मामले को लोकायुक्त संगठन और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ स्तर तक ले जाएंगे।

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