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अबूझमाड़ में आजादी के 75 साल बाद पहुंची सरकारी योजना, खुशी से झूम उठे आदिवासी किसान

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रायपुर। अबूझमाड़ अब अबूझ नहीं रहा है।आजादी के 75 सालों बाद अब उन्नति के पथ पर तेज कदमों से आगे बढ़ रहा है। छ्त्तीसगढ़ सरकार के अथक प्रयासों से आम आदिवासी का जीवन पहले से आसान हुआ है योजनाएं अब वहां पहुंच रहीं हैं जहां पहुंचना अब तक स्वप्न हुआ करता था। यह नवा छत्तीसगढ़ है इस ऐतिहासिक पल का गवाह हर कोई बनना चाहता था. ओरछा के सुमन लाल उसेंडी के खेत में गांव के सभी लोग इकट्ठा हो गये थे. सोलर पंप का बटन जैसे ही दबा, सब एकटक पानी के पाईप पर निहारने लगे, करीब 30 सेकेंड के इंतजार ने सबकी धड़कन बढ़ा दी. एकाएक पानी के पाइप में हलचल हुई और तेजी से पानी की धार निकल पड़ी. यहां पानी की धार खेत में अपना रास्ता बना रही थी. वहीं आदिवासी किसान खुशी से झूम उठे और दोनों हाथ जोड़कर पानी को प्रणाम करने लगे. अबूझमाड़ क्षेत्र में आजादी के 75 साल बाद कोई शासकीय योजना पहुंची तो आदिवासी किसानों की खुशी का ठिकाना ना रहा. अब तक इस क्षेत्र के किसान खेती के लिए सिर्फ मानसून पर निर्भर रहते थे लेकिन अब सालभर अन्य फसलें भी ले सकेंगे.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर नारायणपुर जिला प्रशासन अधिसूचित 246 गांवों का मसाहती सर्वे करा रहा है, जिससे पता चल सके कि किसके खेत की सीमा कहां तक है. नारायणपुर कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी ने बताया अब तक 58 गांवों का सर्वे हो गया है जिनके 2500 किसानों को मसाहती खसरा वितरित हो चुका है. इस सर्वे से राजस्व रिकॉर्ड बनाने में सहायता मिलेगी और शासकीय योजनाओं का लाभ जरूरतमंद तक पहुंच पायेगा. किसानों को केसीसी का वितरण भी किया जा रहा है जिससे वे अब बैंक से लोन भी ले पाएंगे.
सर्वे से किसानों को ये लाभ 
घने जंगलों और ऊंचे पहाड़ों के बीच प्रकृति की गोद में 5 हजार वर्ग किलोमीटर में अबूझमाड़ बसा है. जिसके बारे में अब तक कहा जाता रहा कि इस इलाके को कोई बूझ नहीं पाया यानि समझ नहीं पाया. यही वजह रही कि आजादी के 75 साल बाद भी यहां सरकारी योजनाएं नहीं पहुँच पायीं, लेकिन अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर तेजी से सर्वे किया जा रहा है. मसाहती खसरा मिलने से किसानों का सोसायटी में पंजीयन हो सकेगा और धान बेच पाएंगे. किसानों के खेत मे अब डबरी निर्माण, सिंचाई हेतु सोलर पंप की सुविधा , कृषि एवं उद्यानिकी की योजनाओं का लाभ मिल पायेगा. कृषि विभाग से अब किसानों को विभिन्न फसलों के बीज वितरण के साथ-साथ मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है. किसानों के खेत में ड्रीप लाईन बिछायी जा रही है.

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