दिल्ली

RBI Repo Rate Hike: रिजर्व बैंक ने फिर बढ़ाया 0.50 फीसदी रेपो रेट, महंगा हुआ लोन

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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (RBI MPC Meeting) की जून 2022 की बैठक संपन्न हो गई है. इस बैठक में नई मौद्रिक नीति का एलान किया गया है. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बढ़ा दिया है. अब रेपो रेट 4.40 से 0.50 फीसदी बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया है. यह करीब एक महीने के अंतराल में रेपो रेट में लगातार दूसरी बढ़ोतरी है. जिसके चलते लोन महंगा हो जाएगा. बता दें, सोमवार से चल रही तीन दिनों की बैठक के बाद आज रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) ने लिए गए निर्णयों की जानकारी दी.

महंगाई ने रिजर्व बैंक के पास नहीं छोड़ा विकल्प

इस फाइनेंशियल ईयर में आरबीआई एमपीसी (RBI MPC) की तीसरी बैठक थी. बैठक में समिति के पांचों सदस्यों ने गवर्नर दास की अगुवाई में महंगाई और इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic Growth) की वास्तुस्थिति पर विचार-विमर्श किया. बेकाबू महंगाई को देखते हुए समिति के सदस्य इस बात पर सहमत हुए कि फिलहाल रेपो रेट बढ़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं है.चार साल तक नहीं बढ़ा रेट

महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई (RBI) पहले ही पिछले महीने एक बार रेपो रेट (Repo Rate) को बढ़ा (Repo Rate Hike) चुका है. रिजर्व बैंक (Reserve Bank) ने मई महीने में मौद्रिक नीति समिति की आपात बैठक (RBI MPC Meeting) बुलाई थी. महंगाई बेहिसाब बढ़ जाने के कारण रिजर्व बैंक को ऐसा करना पड़ा था. उसके बाद जून महीने में मौद्रिक नीति समिति की नियमित बैठक हो रही है.

 

आरबीआई (Reserve Bank of India) ने पिछले महीने करीब दो साल बाद पहली बार रेपो रेट(Repo Rate) में बदलाव किया था. करीब दो साल तक रेपो रेट महज 4 फीसदी पर बना रहा था. पिछले महीने रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 कर दिया था. यह करीब चार साल बाद रेपो रेट में पहली बढ़ोतरी थी.

 

क्या होता है रेपो रेट

आरबीआई जिस रेट पर कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट (Repo Rate) कहा जाता है. रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे. इससे आपकी जमा पर ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो जाती है.

 

रिवर्स रेपो रेट

रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर जिस रेट पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट (Reverse repo rate) कहते हैं. बैंकों के पास जो अतिरिक्त कैश होता है उसे रिजर्व बैंक के पास जमा करा दिया जाता है. इस पर बैंकों को ब्याज भी मिलता है.

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