दुर्ग। हीमोफीलिया से पीड़ित मरीजों को राहत देने के लिए जिला चिकित्सालय दुर्ग में इन दिनों निःशुल्क इंजेक्शन लगाया जा रहा है। दुर्ग विधायक की पहल एवं सीएमएचओ के निर्देश पर सीएमएचओ कार्यालय द्वारा इंजेक्शन खरीदे गए हैं, जिसके परिणाम स्वरूप हीमोफीलिया से पीड़ित मरीजों को अब महंगा इंजेक्शन लगवाने से छुटकारा तो मिल ही गया है, साथ ही इंजेक्शन लगवाने के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ से बाहर जाने की भी आवश्यकता नहीं पड़ रही है। पीड़ित लोगों को काफी राहत मिली है।
हीमोफीलिया एक ऐसी दुर्लभ स्थिति है, जिसमें रक्त का थक्का ठीक से नहीं जमता है। हीमोफीलिया पीड़ित लोगों में कुछ निश्चित प्रोटीन की कमी होती है जिसे क्लॉटिंग कारक कहा जाता है। ऐसे 13 प्रकार के क्लॉटिंग (रक्त स्कंदन) कारक हैं, जो चोट वाले स्थान पर खून के बहाव को रोकने के लिए प्लेटलेट्स के साथ काम करते हैं। प्लेटलेट छोटे रक्त कोशिकाएं हैं जो अस्थि-मज्जा में बनती हैं। स्कंदन कारक का अत्यधिक नुकसान रक्तस्राव को जन्म देता है। एक सहज या आंतरिक रक्तस्राव मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंग के भीतर होने पर जीवन के लिए घातक हो सकता है।
हीमोफीलिया के लक्षण अलग-अलग तरह से प्रकट होते हैं। यदि शरीर में क्लॉटिंग-कारक के स्तर में बहुत कम मात्रा में कमी हो तो शरीर में शल्य चिकित्सा या आघात (गंभीर चोट) के बाद ही खून बह सकता है और यदि क्लॉटिंग-कारक के स्तर में कमी गंभीर होती है तो सहज रूप में रक्तस्राव का अनुभव हो सकता है। रक्तस्राव बाहरी या आंतरिक रूप में भी हो सकता है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेपी मेश्राम ने बतायाः शरीर पर चोट लगने की स्थिति में खून का निकलना बंद ना