प्रांतीय वॉच

जिले में कोयला खदानों की भरमार, आम आदमी का हाल बेहाल…प्रदूषण की मार से निजी चिकित्सालयो पर ज्यादा आश्रित है जिले की गरीब जनता !

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Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

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जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

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जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

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रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

ws: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

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सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

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जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

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जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

Raigarh News: रायगढ़ जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी कहा जाता है आज वह प्रदूषण से भरी नजर आती है। केलो का प्रदूषित होता जल इस बात की गवाही देता है कि खदानों और उद्योगों ने इसका किस प्रकार दोहन किया कि वह चीख चीख अपने दर्द को बयां कर रही है और अपने उत्थान की आशा लिए रोज उगते सूर्य की ओर देखती हुई नई उम्मीद के साथ जिले वासियों की ओर निहारती है।

रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

जिनकी खदानों में जमीनें गई उनमें से बहुत लोग आज भी सरकारी दफ्तरों अधिकारियों संबंधित विभाग के चक्कर लगा रहे हैं । स्वास्थ्य के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है रोजाना नित नई बीमारियों से आम आदमी को जूझना पड़ता है दमा, हृदय रोग, चर्म रोग अन्य गंभीर बीमारियों ने घर घर अपना आतंक फैलाया हुआ है। कहने को तो उद्योग नगरी रायगढ़ फल फूल रही है पर फल फूल कैसे रही है दिन पर दिन बढ़ता अपराध, खदानों से अवैध कोयला की चोरी, कोल माफियाओं का राज निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। आम व्यक्ति केवल सड़कों पर अपने हक के लिए संघर्ष करते नजर आ रहा है। सुबह निकलता है तो शाम को यह भरोसा नहीं है कि वह सुरक्षित घर पहुंच जाएगा। आखिर क्या फायदा ऐसे विकास का जो कि जिले वासियों को विनाश की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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रायगढ़ जिले में दर्जनों कोयला खदान संचालित हो रही है जिसका की लाभ पूंजीपतियों एवम बाहर से आए उद्योगपतियों को निरंतर मिल रहा है पर आम व्यक्ति को इन खदानों से क्या मिला..?

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सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य को लेकर है कोयला खदानों में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण हर घर हर व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी जिंदगी को नासूर कर दिया है गंभीर बीमारियों ने गरीब व्यक्ति का जीना मुहाल कर दिया है। आज सरकारी चिकित्सालय में संपूर्ण बीमारियों का समाधान एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों के ना होने पर हमें निजी चिकित्सालय के भरोसे रहना पड़ता है। संपन्न व्यक्ति तो किसी भी प्रकार का इलाज करा सकता है पर उस गरीब व्यक्ति का क्या जिसे सरकारी हस्पताल के भरोसे ही अपनी जिंदगी को संचालित करना पड़ता है।

जब से रायगढ़ में कोयले खदान संचालित हो रही है तब से इन खदानों से शासन को कम फायदा हुआ है और सफेदपोश कोयला चोरों को ज्यादा फायदा हुआ है। बहुमूल्य संपदा कोयला को इन्होंने शासन प्रशासन की आंख में धूल झुकते हुए अपनी तिजोरिया भरी है। जिसे हम नहीं कहते, थाने में समय-समय पर दर्ज रिपोर्ट इस सच्चाई को बयां कर देंगी।

जिले में जहां भी कोयला खदान ए संचालित हो रही है वहां आम आदमी का जीवन नरक से भी भयंकर हो गया है कोयला खदानें में हो रही ब्लास्टिंग ने लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। जिन शर्तों पर कोयला खदानों को संचालित करने की अनुमति दी गई थी क्या इन शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है और यदि पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे पालन कराने की जवाबदारी किसकी है। क्योंकि जिन की जवाबदारी है वह तो आंखों में पट्टी बांधकर कुछ साल मलाई खाते हैं और फिर तबादला एक्सप्रेस में अपनी झोली भर कर जिले की बदहाल स्थिति को वैसा वैसा ही वैसा छोड़कर निकल जाते हैं और ठगा रह जाता है आम आदमी।

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