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एम्स रायपुर के डाक्टर देंगे निर्देश, रोबोट करेंगे सर्जरी

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रायपुर। राजधानी के एम्स में मरीजों की संख्या में जैसे-जैसे बढ़ोतरी हो रही है, वैसे-वैसे नई-नई तकनीक से इलाज का विस्तार भी किया जा रहा है। एम्स में एक साल के भीतर रोबोटिक सर्जरी शुरू होने की उम्मीद है। एम्स प्रबंधन ने इसके लिए सभी कागजी प्रक्रियाएं पूरी कर ली है। केंद्रीय मंत्रालय से मंजूरी भी मिल चुकी है। अत्याधुनिक माड्यूलर आपरेशन थियेटर तैयार हैं। सर्वप्रथम न्यूरो में रोबोटिक सर्जरी श्ाुरू करने की योजना है। इसके बाद आर्थों और फिर गायनिक, ईएनटी और आप्थोमालाजी व अन्य में होगा। भोपाल एम्स में भी रोबोटिक सर्जरी के लिए विगत तीन-चार सालों से प्रयास हो रहा है। एम्स रायपुर प्रबंधन का दावा है कि भोपाल से पहले यहां पर रोबोटिक सर्जरी का लाभ मरीजों को मिलेगा। हालांकि, यह सर्जरी कार्निया और रीनल ट्रांसप्लांट शुरू होने के बाद ही होगा। वर्तमान में राज्य के किसी भी शासकीय अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी की सुविधा नहीं है। एम्स रायपुर प्रदेश का पहला अस्पताल होगा, जहां सर्जरी होगी। वर्तमान में दिल्ली, मुंबई और कुछ अन्य मेट्रो सिटी में ही रोबोटिक सर्जरी शुरू हो पाई है। डाक्टरों का कहना है कि बड़े शहरों में सर्जरी कराने पर निजी अस्पतालों में मरीज को तीन से चार लाख रुपए खर्च करने पड़ते हैं। एम्स में इससे काफी कम राशि लगेगी।

टिशू डैमेज नहीं, जल्द स्वस्थ होते हैं मरीज

विशेषज्ञों का कहना है कि सर्जन की जगह रोबोटिक हाथ काम करते हैं, जिन्हें कंप्यूटर के मानीटर पर सर्जन निर्देश देते हैं। यह ज्यादा बारीकी से आपरेशन करने में सक्षम होते हैं। रोबोटिक सर्जरी में टिशू डैमेज नहीं होते, जिससे मरीज जल्द स्वस्थ होते हैं। लिवर, रीनल ट्रांसप्लांट, न्यूरो व हाथ-पैरों की सर्जरी में यह काफी कारगर होगा।

कार्निया और किडनी ट्रांसप्लांट जल्द

एम्स में कार्निया और किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयारी कर ली गई है, जल्द ही शुरू होने की संभावना है। कार्निया और किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आपरेशन थियेटर भी तैयार हो गए हैं। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी के तीन विशेषज्ञों समेत 11 डाक्टरों की टीम करीब ढ़ाई साल पहले ही बनाई गई थी। लेकिन, कुछ कागजी प्रक्रिया पूरी न होने की वजह से अटका हुआ है। एम्स में कार्निया ट्रांसप्लांट से पहले आई बैंक बनाया जाएगा।

आंबेडकर अस्पताल ने भी भेजा है प्रस्ताव

डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के कैंसर डिपार्टमेंट में भी रोबोटिक सर्जरी शुरू करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। हालांकि, डेढ साल से अधिक समय होने के बाद भी मंजूरी नही मिली है। चिकित्सकों का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी के लिए सेटअप तैयार करने में करीब 20 करोड़ रुपये की लागत आती है। लेकिन, यह जरूर है कि जिस सर्जरी में एक घंटे का समय लगता है, उसमें सिर्फ 30 मिनट ही लगेंगे। कैंसर डिपार्टमेंट में रोजाना कैंसर के करीब 300 मरीजों का इलाज होता है। डिपार्टमेंट में हर माह 150 से अधिक छोटे-बड़े आपरेशन किए जाते हैं।

रायपुर एम्स में भी 300 रुपये तक की जांचें होगी निश्शुल्क

दिल्ली की तरफ रायपुर एम्स में भी 300 रुपये तक की जांच निश्शुल्क होगी। इस संबंध में एम्स प्रबंधन की तरफ से जल्द ही केंद्रीय मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा सकता है। मरीजों को सबसे ज्यादा खर्च बीमारियों की जांच में ही करने पड़ते हैं। एम्स के डाक्टर किसी भी मरीज को जांच के बाद ही दवाएं लिखते हैं। एम्स के निदेशक डा. नितिन एम नागरकर का कहना है कि कोई भी निर्णय केंद्रीय मंत्रालय की तरफ से लिया जाता है। रायपुर एम्स में भी निश्शुल्क जांच सुविधा शुरू करने प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। दिल्ली की तर्ज पर ही देशभर के एम्स संचालित होते हैं। इससे उम्मीद है कि नई सुविधा देश भर के अन्य एम्स में भी चालू होगा, हालांकि निश्चित समय बताना मुश्किल है।

रोबोटिक सर्जरी के लिए सेटअप तैयार है। कार्निया और रीनल ट्रांसप्लांट के बाद श्ाुरू होगी, जिसमें छह माह या एक साल का समय लग सकता है। यह जरूर है कि भोपाल से पहले रायपुर के मरीजों को नई तकनीकी का लाभ मिलेगा।

– डा. नितिन एम नागरकर, डायरेक्टर, एम्स रायपुर

रोबोटिक सर्जरी के लिए शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। इसके सेटअप तैयार करने में ही 20 करोड़ रुपये की लागत आती है। जिस सर्जरी को करने में एक घंटे लगता है, रोबोटिक से सिर्फ आधे घंटे के भीतर हो जाएगा।

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