डेस्क। रुपया ( Rupee) आज सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. आज सुबह 9 बजे के आस-पास घरेलू मुद्रा 77.28 प्रति डॉलर पर ट्रेड कर रही थी. यह 76.93 के पिछले बंद से 0.48 प्रतिशत कम थी. रुपया 77.06 पर खुला और 77.31 प्रति डॉलर के निचले स्तर को छू गया. पिछली बार 7 मार्च, 2022 को रुपया 76.98 के निचले स्तर पर आ गया था. मुद्रास्फीति की चिंताओं के बीच ग्लोबल इक्विटी में गिरावट का असर रुपया पर भी दिख रहा है.
महंगाई को लेकर ट्रेडर्स के बीच चिंता बनी हुई है. उनका सवाल है कि क्या फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में वृद्धि इंफ्लेशन रोकने के लिए पर्याप्त है. वहीं, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने अपनी ब्याज दरों में वृद्धि करते हुए मंदी के संभावित जोखिम की चेतावनी दी थी. इस सब कारणों का ग्लोबल मार्केट की गिरावट में बड़ा रोल है. इसका असर रुपया पर भी दिख रहा है.
एफपीआई बिकवाली का भी असर
विश्लेषकों का कहना है कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के बने रहने और रूस-यूक्रेन युद्ध की अवधि को लेकर अनिश्चितता के कारण वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति का दबाव बना हुआ है. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली की वजह से भी करेंसी में गिरावट आई. एफआईआई लगातार सातवें महीने इक्विटी में लगभग 22.31 अरब डॉलर की बिक्री के साथ शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं.
बढ़ती महंगाई की चिंता
मुद्रास्फीति की बढ़ती चिंताओं के बीच घरेलू स्तर पर, भारतीय रिजर्व बैंक भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है और आगे भी इसके जारी रखने के संकेत दे चुका है. 10 साल की बॉन्ड यील्ड 3 बेसिस प्वाइंट बढ़कर 7.484 फीसदी हो गई. पिछले हफ्ते आरबीआई की अचानक दरों में बढ़ोतरी के बाद बॉन्ड यील्ड 35 बेसिस प्वाइंट से ज्यादा बढ़ गई है.
और गिर सकता है रुपया
यूएस फेड द्वारा रेट हाइक और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के फेवर वाले आउटलुक के बाद घऱेलू पूंजी बाजार से बड़ी मात्रा में फंड निकाला जा रहा है. जनवरी 2021 पॉलिसी के बाद, जब फेड ने रेट हाइक का इशारा किया और बैलेंस शीट को सिकोड़ने लगा, तब से घरेलू कैपिटल मार्केट से 19 अरब डॉलर का फंड बाहर जा चुका है. फंड के बाहर जाने और व्यापार घाटा बढ़ने से रुपए पर और दबाव बढ़ सकता है. Edelweiss Wealth Research ने अपने एक नोट में निवेशकों को यह जानकारी दी है.
गिरते रुपए का नुकसान
गिरते रुपए का हमारे ऊपर चौतरफा असर होता है. रुपये के गिरने से पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने का खतरा और बढ़ गया है. डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरने का मतलब दूसरे देश से आयात करना महंगा पड़ता है. बाहर से मंगाया जाने वाला सामान ज्यादा कीमत पर मंगावाना पड़ेगा तो नुकसान होगा. यानी व्यापार घाटा बढ़ेगा. विदेश यात्रा पर जाने वालों को भी रुपया कमजोर होने का नुकसान उठाना पड़ता है.