कोयले की कमी के कारण बिजली संकट (Power Crisis)गहराता जा रहा है. राजधानी दिल्ली में इस वक्त 6000 मेगावाट की पीक डिमांड है. फिलहाल देश के लगभग 16 राज्य बिजली की भीषण कटौती की मार झेल रहे हैं. बिजली संकट का असर अब आम जनता पर सीधा-सीधा पड़ने लगा है. आने वाले दिनों में एक दिन में 10 से 16 घंटे पावर कट का अनुमान लगाया गया है, जिससे लोगों के कई तरह के काम रुक सकते हैं.
इन राज्यों में हो रहा बिजली संकट
कई राज्यों में अभी से ही बिजली कटौती के कारण 10 से 12 घंटे बत्ती गुल रहने लगी है. उत्तर प्रदेश के कई गावं ऐसे हैं जहां रात भर लाइट गायब रह रही है. राज्य में 3615 मेगावाट क्षमता की इकाइयां बंद हो चुकी हैं. इसके अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी बिजली का भारी संकट जारी है.
बिजली संकट के कारण ट्रेनें रद्द
29 अप्रैल को देश में बिजली की मांग ने अपना सर्वोच्च स्तर 204.65 मेगावाट छू लिया था, जोकि 7 जुलाई 2021 के 200.53 के रिकॉर्ड स्तर से अधिक है. इसके कारण कई ट्रेनें रद्द होने को हैं. इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने मेट्रो ट्रेनों और अस्पतालों समेत राजधानी के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को बिजली आपूर्ति मुहैया कराने में कमी करने की चेतावनी दी है.
क्यों हो रही है बिटली कटौती
बदन झुलसा देने वाली गर्मी के बीच लोगों को बिजली संकट का भी सामना करना पड़ रहा है. इसका कारण है देश में बिजली की मांग ज्यादा और आपूर्ति का उतना ही कम होना. ऐसे में लगातार लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. देश के छोटे बड़े मिलाकर लगभग 16 राज्यों में करीब 2 से 10 घंटों की कटौती की जा रही है.
क्या देश में कोयले की कमी है
इसे लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है लेकिन, बिजली कटौती को लेकर विपक्ष लगातार यह सवाल उठा रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि पॉवर प्लांट्स में कोयले की कमी के कारण बिजली कटौती की जा रही है.
आम लोगों को क्या हो रही परेशानी
एक दिन में 5 से 10 घंटे या 10 से 12 घंटे बिजली न होने से लोगों को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. भीषण गर्मी के बीच लोगों का अब घरों में रहना भी मुश्किल होता जा रहा है. बोर्ड की परीक्षाएं दे रहे छात्रों के लिए भी यह एक दिक्कत बनता नजर आ रहा है. वहीं, जिन लोगों को घर से काम करना है उनके काम पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है.