_आरोपी का कथन… मैंने सभी को मैनेज कर दिया मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.._
दीपेश निषाद नगरी- नगर पंचायत नगरी क्षेत्र अंतर्गत निवासी आकिफ रजा पिता इस्माइल भाई द्वारा होम लोन दिलाने के नाम पर अपने आप को आधार हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड एजेंट बताते हुए सीमा साहू नगरी पति कुबेर साहू को बार-बार संर्पक कर अपने राजिम निवासी मित्र के माध्यम से 12 लाख का होम लोन फाइनल कर वाया गया। जिसमे मुख्य एजेंट ने एक भी रु. कमीशन लेने से मना कर दिया। एजेंट का कहना है। की उनको कमीशन बैंक तनखे एवं अन्य तरीके से देती है,अत: मैं हितग्राही से कोई कमीशन नही लूंगा। किंतु अपने आप को मुख्य एजेंट गोसाई का मित्र बताने वाले युवक आक़िफ़ रजा नगरी ने सीमा साहू को धोखे में रख कर दो ब्लैंक चेक बैंक में जमा करने के नाम से रख लिया। और खाता में 12 लाख की राशि आते ही आक़िफ़ रजा द्वारा जालसाजी करते हुए बिना हितग्राही के जानकारी एक लाख रु.आहरण कर लिया गया। हितग्राही को पता चलने पर मामला ने एक और नया मोड़ लिया और उस एक लाख की राशि को आक़िफ़ रजा अपना कमीशन बताने लगा। हैरान होकर जब सीमा साहू ने मुख्य एजेंट से संपर्क किया तो पता चला कि बैंक ने कोई भी ब्लैंक चेक नहीं मंगा था। फर्जीवाड़ा करते हुए आक़िफ़ रजा ने राशि निकाल लिया और जब मामला हमारे संवाददाता दीपेश निषाद के पास आया तब उनके द्वारा आरोपी आक़िफ़ रजा को बुलाकर समझाइश दी गई कि उक्त राशि को हितग्राही को वापस कर दे अतः उस दरमियान आरोपी ने हमारे संवाददाता दीपेश निषाद को ₹10000 रिश्वत देकर खरीदने का प्रयास किया। तब दोनों के बीच कह सुनी हो गई अतः उक्त युवक ने कार्यवाही के भय से ₹30000 की राशि हितग्राही को वापस किया। इसके बाद वह मानो कहीं नदारद सा हो गया है, हमारे संवाददाता ने जांच पड़ताल कर जानकारी प्राप्त किया तो पता चला उक्त युवक ने पूर्व में भी जालसाजी फर्जीवाड़ा के मामले किंये हैं, हमारे संवाददाता द्वारा नगरी एसडीओपी को मौखिक जानकारी दी गई है, एवं एसडीओपी साहब द्वारा उक्त मामले की आवेदन मंगवाई गई है। जिस पर उनके द्वारा त्वरित कार्रवाई करने की बात की गई है। खैर बात यहीं समाप्त नहीं होती आखिर ऐसे कितने लोग ठगी के शिकार हुए होंगे कितने जरूरतमंद बेबस लाचार कोर्ट कचहरी के चक्कर से बचने के लिए लाखों रुपए की अनावश्यक कर्ज को मजबूर हो कर छूटते है, ऐसे जालसाजी करने वाले फर्जी युवाओं को पकड़ के त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए ताकि भविष्य में लोगों को सबक मिल सके कि बैंक से लोन जरूरत पड़ने पर ही निकाला जाता है। कोई गुलछर्रे उड़ाने के लिए नहीं। बैंक के मैनेजर से बात करने पर जानकारी प्राप्त हुआ कि हमने किसी भी प्रकार से हितग्राही को ब्लैंक चेक नहीं मंगा था। और न ही आक़िफ़ रजा हमारा कर्मचारी है उक्त घटना को अंजाम दिया है तो आक़िफ़ रजा पूर्ण रूप से आरोपी है।