देश दुनिया वॉच

UP : तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी गुजारा भत्ता पाने का अधिकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Share this

19 अप्रैल 2022 | इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुस्लिम महिलाओं के हक में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है और वे इद्दत की अवधि के पश्चात भी इसे प्राप्त कर सकती हैं.

कोर्ट के फैसले को दी गई थी चुनौती
अदालत ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि तलाकशुदा महिलाओं को यह अधिकार तब तक है जब तक वे दूसरी शादी नहीं कर लेतीं. न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की पीठ ने याचिकाकर्ता रजिया के आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर यह आदेश दिया. वर्ष 2008 में दाखिल इस पुनरीक्षण याचिका में प्रतापगढ़ के एक सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी.

सत्र अदालत ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए कहा था कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम के आने के बाद याचिकाकर्ता और उसके पति का मामला इसी अधिनियम के अधीन होगा. सत्र अदालत ने कहा कि उक्त अधिनियम की धारा तीन एवं चार के तहत ही मुस्लिम तलाकशुदा पत्नी गुजारा भत्ता पाने की अधिकारी है. ऐसे मामलों में सीआरपीसी की धारा 125 लागू नहीं होती.

दूसरी शादी तक गुजारा भत्ता
पीठ ने सत्र अदालत के इस फैसले को निरस्त करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शबाना बानो मामले में दिए गए निर्णय के बाद यह तय हो चुका है कि मुस्लिम तलाकशुदा महिला धारा 125 के तहत इद्दत की अवधि के बाद भी गुजारा भत्ता पाने की अधिकारी है, जब तक कि वह दूसरी शादी नहीं कर लेती. ‘इद्दत’ का तात्पर्य महिला के पति की मौत अथवा तलाक के बाद एक निश्चित अवधि के लिए पर-पुरुष (जिनसे निकाह की संभावना हो) से दूर रहने से है.

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *