भगवान स्कंद( god skand) की माता होने के कारण मां दुर्गा( maa durga) के पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं। धर्म ग्रंथों में इनका स्वरूप इस प्रकार बताया गया है। इन देवी की एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है। इनका आसन कमल है, इसलिए इन देवी का एक नाम पद्मासना भी है।
बुधवार के शुभ मुहूर्त (shubh muhrat)
सुबह 06:00 से 07:30 तक – लाभ
सुबह 07:30 से 09:00 तक- अमृत
सुबह 10:30 से दोपहर 12:00 तक- शुभ
दोपहर 03:00 से शाम 04:30 तक- चर
शाम 04:30 से 06:30 तक- लाभ
स्कंदमाता का ध्यान मंत्र( mantra)
या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
उपाय( upay)
स्कंदमाता को यथासंभव यानी जितना हो सके केले( banana) का भोग लगाएं और बाद में इसे भक्तों में बांट दें।
इस तरह करें पूजा ( worship)
बुधवार की सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान आदि कर लें। इसके बाद साफ स्थान पर गंगाजल( gangawater) छिड़ककर उसे शुद्ध कर लें। इसके बाद देवी स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा वहां स्थापित करें। इसके बाद देवी कूष्मांडा का ध्यान करें और शुद्ध घी( ghee) का दीपक जलाएं। अब माता रानी को कुंकुम, चावल,( rice) सिंदूर( sindoor), फूल आदि चीजें चढ़ाएं। इसके बाद देवी को प्रसाद के रूप में फल और मिठाई ( sweet)का भोग लगाएं।