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आज करें देवी कूष्मांडा की पूजा, ये है विधि, शुभ मुहूर्त

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देवी कूष्मांडा( Maa Kushmanda) की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजी देवी भी कहा जाता है। इनके हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल का फूल, कलश, चक्र और गदा है। आठवें हाथ में जप माला है। देवी कूष्मांडा( kushmanda)का वाहन सिंह है। ऐसा कहा जाता है कि माँ कूष्मांडा की पूजा से भक्तों के सभी रोग और शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से लंबी उम्र, मान-सम्मान और बेहतर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

मंगलवार( tuesday) की सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान आदि कर लें। इसके बाद किीस साफ स्थान पर गंगाजल छिड़कर उसे शुद्ध कर लें। इसके बाद कूष्मांडा की तस्वीर या प्रतिमा वहां स्थापित करें। इतना सब करने के बाद देवी कूष्मांडा का ध्यान करें और शुद्ध घी का दीपक( candles) जलाएं। अब माता रानी को कुंकुम, चावल( rice), सिंदूर, फूल आदि चीजें चढ़ाएं। इसके बाद देवी को प्रसाद के रूप में फल और मिठाई का भोग लगाएं। मां कूष्मांडा की आरती करें और जाने-अनजाने में पूजा ( worship) करें।

मंगलवार के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)

सुबह 09:00 से 10:30 तक- चर

सुबह 10:30 से दोपहर 12:00 तक- लाभ

दोपहर 12:00 से 01:30 तक- अमृत

दोपहर 03:00 से 04:30 तक- शुभ

इस मंत्र का करें जाप ( mantra)

देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

इसका करें दान ( daan)

मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ अर्पित करना चाहिए और इसका दान भी करें।

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