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आज ही घटी थी गोधरा कांड की दुखद घटना, जिसके बाद भड़के दंगों में हुई थीं 1000 से ज्यादा मौतें

नई दिल्ली। साल 2002 के फरवरी महीने की 27 तारीख भारतीय इतिहास के पन्नों में एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। इस दिन गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के ‘S-6’ डिब्बे को आग को हवाले कर दिया गया था, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। साल 2002 इस घटना ने भारतीय इतिहास को बदल कर रख दिया। साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन से अहमदाबाद जाने के लिए निकली ही थी कि किसी ने ट्रेन की चेन खींचकर गाड़ी रोक दी और पथराव करने लगे। इनके बाद ट्रेन के एक डिब्बे में आग लगा दी। इस ट्रेन में ज्यादातर अयोध्या से लौट रहे तीर्थयात्री सवार थे।

दिल दहलाने वाली ये घटना ‘गोधरा कांड’ के नाम से जानी गई। इस कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू शामिल थे। गोधरा कांड के ठीक दूसरे दिन 28 फरवरी को अहमदाबाद की ‘गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी’ में बेकाबू भीड़ में 69 लोगों की मौत हो गई, जिसमें उसी सोसाइटी में रहने वाले कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। इन दंगों से राज्य में हालात इतने बिगड़ गए कि स्थिति को संभालने के लिए तीसरे दिन सेना का सहारा लेना पड़ा।

साल 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ थे। गोधरा कांड की जांच के लिए मार्च 2002 में उन्होंने नानावटी-शाह आयोग बनाया। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज ‘केजी शाह’ और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज ‘जीटी नानावटी’ को इस आयोग का सदस्य बनाया गया। जांच के बाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा साल 2008 के सितंबर महीने में पेश किया, जिसमें गोधरा कांड को सोची-समझी साजिश बताया गया लेकिन नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों को क्लीन चिट दे दी गई।

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