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आलेख – दुर्भाग्य है, क्या राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि….

डा.वाघ की वाल से आज अपनी बात पर  क्या हम ऐसे आतंकवाद से लडेंगे ।  दुर्भाग्य है राजनीति का स्तर इतना गिर गया है की सफेद खददर दारी मे ही यह चेहरे निकल रहे है । पहले ही वसूली के नाम से एक मंत्री जेल की शोभा बढा रहे है । अभी का घटनाक्रम भी काफी चिंताजनक है । पहले आरोप लगने से मात्र ही कम से कम दूरी बनाने की तो मर्यादा का पालन किया जाता था । ज्यादा समय नही हुआ है हवाला केस मे नाम आने पर श्री लालकृष्ण अडवानी ने अपने को राजनीति से ही अलग कर लिया था । अब तो समय बदल गया है जिन केस मे नाम आ रहे है वह तो काफी चिंतित करने वाले है । पर किसी को देश की नही सबको अपने राजनीति की पडी हुई है । जिस शहर मे वन बी एच के ही करोडो मे बिकता हो वहां कुछ लाख मे ही जमीन का मिलना एक आम नागरिक के गले नही उतर रहा है । मुंबई के सीरियल धमाके के आतंकवाद को कोई कैसे भूल सकता है । पर अपनी ओछी राजनीति के लिए यह सियासी दल ऐसे लोगो को पालते है माननीय बनाते है फिर मंत्री तक बनाते है । पता नही इनकी राजनीति ने कितने अपराधियो को संरक्षण देकर अनैतिक काम पर प्रश्रय दिया होगा । यह फेवीकोल का गठजोड ने शासकीय काम मे राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया होगा । वही इस गठजोड के चलते शासकीय कर्मी भी आत्म समर्पण के मुद्रा मे आ गये होंगे । दुर्भाग्य यह है की इनकी राजनीति के आगे सभी नैतिकता तार तार हो गई है । दुर्भाग्य से कोर्ट के कानूनी प्रक्रिया के जारी रहने के बाद भी माननीयो का  समर्थन किसी केस को प्रभावित करने का एक राजनीतिक हिस्सा भी हो सकता है । अगर आरोप राजनीतिक होंगे तो प्रथम दृष्टया मे ही खारिज हो जाऐंगे । कही वह तो भय नही की आम लोगो को जो बात पर्दे के भीतर मालूम थी कही वह खुले मे पता चल जाए तो क्या होगा । अगर राजनीतिक इच्छा शक्ति है तो कितना भी बड़ा डाॅन हो या माफिया यह लोग शासन के सामने नतमस्तक हो जाते है । यही कारण है की उत्तर प्रदेश मे आज जितने माननीय डाॅन बनकर घूम रहे थे जहां उनकी संपति कुर्क हो गई है वही जेल मे है । वही दूसरे के शासन काल मे केस वापस लिए जाने का आदेश जारी किया गया था भला हो कोर्ट का जिसने अपने सख्त आदेश से इसे निष्प्रभाव कर दिया । अन्यथा पता नही कितने आतंकवादी खुले घूमते रहते थे और देश के विभिन्न हिस्सो मे खून की होली खेलत सिर्फ इनके राजनीतिक मंशा के चलते ।  आज भी राजनीति का पूरा जमावड़ा एक छतरी के नीचे आकर बडी धृष्टता से खडा हो गया है । ऐसे लोग क्या देश की संप्रभुता की रक्षा करेंगे । अभी तो केस सिर्फ जांच कर पूछताछ ही चल रही है न्यायालय के निर्णय का इंतजार करना था ।  कुछ नही यह कोई नया नही है वोहरा कमेटी के निर्णय ने पहले ही इलाज किया था पर यह रिपोर्ट राजनीतिक विवशता के कारण सार्वजनिक नही की जा रही है । दुर्भाग्य से कोई भी दल राजनीति की शुद्धता के लिए तैयार नही है ।  यह आज के राजनीति का कटु सत्य है ।
बस इतना ही
डा. चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ

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