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रामकृष्ण केयर अस्पताल में “मिनीमम कट तकनीक” से 110 किलो के मरीज का हुआ सफल हिप रिप्लेसमेन्ट

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रायपुर। हाल ही में शहर के जाने-माने जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. अंकुर सिंघल 110 किलो के मरीज का “मिनीमम कट तकनीक” से सफलतापूर्वक कुल्हे (HIP) का ऑपरेशन किया।
यह ऑपरेशन की खास बात यह थी कि इस मरीज का वजन लगभग 110 किलो और BMI (Basal Metabolic Index) 40 से ज्यादा था।
वह एवैस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) नामक कुल्हे की बीमारी से वह लगभग 03 वर्ष से ग्रसित था जिसके चलते वह अपना घरेलू कामकाज भी नहीं कर पा रहा था एवं उनका घर से बाहर जाना भी असंभव हो गया था। कुल्हे की बीमारी के कारण उनको चलने-फिरने में परेशानी हो रही थी एवं वह लंगड़ा कर चल रहा था। वजन ज्यादा होने के कारण उनका कहीं भी ऑपरेशन संभव नहीं हो पा रहा था। इस बीमारी के चलते उन्होंने जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकुर सिंघल को दिखाया। उनके प्रोत्साहन से उन्होंने कुल्हे का ऑपरेशन मिनीमम कट तकनीक द्वारा करवाया जो कि सफल रहा। ऑपरेशन के 3 घंटे बाद मरीज को चलाया गया। ऑपरेशन के तीसरे दिन बिना सर्पोट के चलाया एवं सीढ़िया चढ़ाया गया। जिस दर्द को वह 03 वर्षों से सहन कर रहे थे वह पूरी तरह से गायब हो गया। आज वह बिना दर्द के लगभग 6 कि.मी. आसानी से चल लेते है और बाहर भी आ-जा सकते है एवं घरेलू कामकाज करने में भी कोई परेशानी नहीं हो रही है। इस ऑपरेशन ने उनको एक नई और स्वस्थ्य जिंदगी प्रदान की है।
डॉ. अंकुर सिंघल ने बताया कि मरीजों में उनके द्वारा इज़ात की हुई इस तकनीक से जोड़ प्रत्यारोपण के बाद मरीजों की रिकवरी फास्ट होती है। इस तकनीक से मरीज न सिर्फ केवल कुछ घंटे बाद चल सकता है बल्कि अपनी सामान्य जीवन में तेजी से वापस लौट सकता है।
क्या है यह मिनीमम कट तकनीक ?
01. छोटे चीरे में सर्जरी
जहां पहले जोड़ प्रत्यारोपण में बड़ा चीरा लगता था एवं खून का स्त्राव ज्यादा होता था इस तकनीक की वजह से छोटे चीरे में सर्जरी होती है, चमड़ी पर कोई टांका नहीं लिया जाता एवं रक्त का स्त्राव भी कम होता है, जिसकी वजह से मरीज को खून नहीं चढ़ाया जाता।
02. ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद चलाना
पूर्व में जोड़ प्रत्यारोपण के बाद मरीज को ज्यादा से ज्यादा आराम करने को कहा जाता था। लेकिन अब इस तकनीक से सर्जरी के समय से लेकर रिकवरी का समय भी कम हो गया है। मरीज को ऑपरेशन वाले दिन ही कुछ घंटों में चलाया जाता है और ऑपरेशन के दूसरे दिन सीढ़ी चढ़ाई जाती है।

03. कम समय में ऑपरेशन
जहां पूर्व में एक जोड़ प्रत्यारोपण में 3-4 घंटा लगता था। लेकिन अब इस तकनीक की वजह से ऑपरेशन एक घंटे में ही हो जाता है जिससे सर्जरी का रिस्क जैसे – हार्टअटैक, इंफेक्शन, डीवीटी का खतरा भी कम हो जाता है।
04. कम दवाओं का उपयोग
इस तकनीक से ना सिर्फ रिकवरी में तेजी होती है दर्द निवारक की दवाओं का भी कम उपयोग होता है।
05. कम दिन हॉस्पिटल में रहना एवं मानसिक तनाव कम होना
फास्ट रिकवरी के परिणामस्वरूप मरीज को हॉस्पिटल में सिर्फ 3 दिन ही रूकना पड़ता जिससे इसका मानसिक तनाव कम रहता है और वह घर जाकर जल्दी ही सामान्य कार्य करने लगता है।
केयर हॉस्पिटल्स ग्रुप एक मल्टीस्पेशलिटी हेल्थकेयर प्रदाता है, जिसके 14 अस्पताल भारत के 5 राज्यों के 6 शहरों में संचालित किए जा रहे हैं। दक्षिण/मध्य भारत में तृतीयक देखभाल और शीर्ष 4 अखिल भारतीय अस्पताल श्रृंखलाओं में अपने क्षेत्र में अग्रणी केयर हॉस्पिटल टर्शिएरी केयर सेटिंग्स में 30 से अधिक स्पेशियलिटीज में व्यापक देखभाल प्रदान करते हैं।

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