अफताब आलम / बलरामपुर/ छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र रामानुजगंज में झारखंड से आए हुए 12 हाथियों के दल ने पिछले 10 दिनों में जमकर उत्पात मचाया है. हाथियों के डर से इलाके में दहशत का माहौल निर्मित हो गया. ग्रामीणों को छात्रावास और पंचायत भवन में शिफ्ट कराया गया लेकिन इस कड़ाके कि ठंड में ग्रामीणों के रहने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए जिसके कारण ग्रामीण अब यहां छात्रावास में न रहकर अपने घरों में ही रहने लगे. ग्रामीणों को अपने मवेशियों की चिंता भी सताती है कि रात में घर से दूर रहने पर उनके गाय, भैंस, बकरा एवं मुर्गा कहीं चोरी न हो जाए.
घरों से कंबल लाकर काट रहे रात
रात के समय छात्रावास में रहने आए हुए ग्रामीणों ने बताया कि कड़ाके कि ठंड में छात्रावास में ठंड से बचने ग्रामीणों के लिए कंबल की व्यवस्था सीमित मात्रा में की गई है. ग्रामीण अपने-अपने घरों से रात में कंबल ओढ़ने के लिए लेकर आते हैं और छात्रावास में रात गुजारते हैं ग्रामीण यहां जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सोते हैं. छात्रावास में ग्रामीणों के लिए कंबल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सुबह होते ही ग्रामीण अपने दैनिक कार्य के लिए चले जाते हैं. यहां के ज्यादातर ग्रामीण मजदूरी कार्य करते हैं.
छात्रावास में नहीं है उचित व्यवस्था
स्थानीय ग्रामीण अपने-अपने घरों से भोजन करके रात में सोने के लिए छात्रावास में जा रहे हैं वनविभाग और पंचायत के द्वारा ग्रामीणों के भोजन के लिए राशन की व्यवस्था तो कर दी गई लेकिन यहां भोजन बनाने के लिए कोई बावर्ची उपलब्ध नहीं कराया गया ग्रामीणों को स्वयं भोजन बनाने के लिए कहा गया फिलहाल यहां रात में रूकने वाले ग्रामीणों के लिए भोजन बनाने वाला कोई नहीं है इन सभी असुविधाओं के कारण ग्रामीण अब बहुत कम संख्या में रात को यहां रूकने के लिए आ रहे हैं.
वनविभाग के अनुसार हाथियों का दल वापस झारखंड लौट गया है ज्यादातर ग्रामीण अपने गाय बकरी मुर्गियों के चोरी होने के डर से रात के समय छात्रावास में रहने के लिए नहीं आ रहे हैं.
8 घरों को तोड़कर किया क्षतिग्रस्त
हाथियों के दल ने 31 दिसंबर की रात में अचा ग्राम लुरगी में हमला करके एक के बाद एक लगातार 7 घरों को तोड़कर पुरी से क्षतिग्रस्त कर दिया उस दौरान घरों में मौजूद लोगों ने किसी तरह अपनी जान बचाई. हाथियों के दल ने घरों में रखे हुए अनाज को भी चट कर दिया. ग्रामीणों में डर और दहशत का माहौल बन गया. हाथियों के द्वारा जिन ग्रामीणों के घरों को नुकसान पहुंचाया गया वे सभी अत्यंत गरीब हैं वनविभाग के तरफ से अबतक इन ग्रामीणों को मुआवजे के रूप में क्षतिपूर्ति के लिए धनराशि नहीं मिला है. 3 जनवरी की रात में ग्राम पंचायत कनकपुर में हाथियों के दल ने धावा बोलकर 1 घर को क्षतिग्रस्त कर दिया साथ ही सरसों लहसुन एवं अन्य फसलों को भी बर्बाद कर दिया. फसलों को रौंद दिया.
1 ग्रामीण कुचलकर बेरहमी से ले ली जान
हाथियों के दल ने ग्राम पंचायत भीतरचुरा में पंडो जनजाति के ग्रामीण की कुचलकर बेरहमी से जान ले ली. 28 दिसंबर की शाम को मृतक देवशरन पंडो अपनी गाय को बांधने बथान (मवेशियों को बांधने की जगह) की तरफ गया हुआ था. तभी वहां अचानक से दो हाथी आ पहुंचे और युवक को घेरकर कुचल दिया. जिससे मौके पर ही युवक देवशरन पंडो की दर्दनाक मौत हो गई. घटना के बाद आनन-फानन में वनविभाग के द्वारा ग्रामीणों को गांव के ही पंचायत भवन में शिफ्ट कराया गया था. लेकिन वहां भी ग्रामीणों को असुविधाओं का सामना करना पड़ा. कलेक्टर के निर्देश पर सप्ताह भर के बाद प्रशासनिक अमला गांव में पहुंचा था.
नुकसान व मुआवजे को लेकर चिंतित हैं ग्रामीण
हाथियों के दल ने ग्राम लुरगी एवं कनकपुर में 8 घरों को नुकसान पहुंचाया है साथ ही खेत में लगी हुई सरसों लहसुन एवं अन्य फसलों को भी रौंद कर बर्बाद कर दिया. वनविभाग कि टीम ने गांव पहुंचकर नुकसान का आकलन किया और जल्द मुआवजा राशि वितरण करने कि बात कही लेकिन अब तक इन ग्रामीणों को मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया है जिसको लेकर ग्रामीण चिंतित हैं.
गजराज वाहन से हाथियों के दल की लगातार की जा रही निगरानी
रामानुजगंज फोरेस्ट रेंज में वन विभाग की टीम हाथियों की लगातार निगरानी कर रही है ताकि वे आक्रामक ना हो और क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई नुकसान ना करे. हालांकि वनविभाग के अनुसार अभी हाथियों का दल कनहर नदी को पार करके झारखंड की सीमा में वापस चला गया है.
लेकिन यह दल कभी भी इस क्षेत्र में वापस आ सकता है जिसके मद्देनजर रात-भर वनविभाग की टीम गजराज वाहन से गांव में एवं आसपास के जंगलों में गश्त करते हुए ग्रामीणों की सुरक्षा करने नाईट पेट्रोलिंग करके निगरानी कर रही है.