नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन के तहत अगले पांच वर्षों में देश के 25 हवाई अड्डों के निजीकरण के अपने प्लान के बारे में जानकारी दी है। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने लोकसभा में इस संबंध में एक लिखित जवाब दिया है। नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन के तहत, 25 (एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के हवाई अड्डों को 2022 से 2025 तक परिसंपत्ति मुद्रीकरण के लिए तय किया गया है। इन हवाई अड्डों का चयन वार्षिक ट्रैफिक और प्रस्तावित पूंजी खर्च योजना के आधार पर किया गया है। भुवनेश्वर, वाराणसी, अमृतसर, त्रिची, इंदौर, रायपुर, कालीकट, कोयंबटूर, नागपुर, पटना, मदुरै, सूरत, रांची, जोधपुर, चेन्नई, विजयवाड़ा, वडोदरा, भोपाल, तिरुपति, हुबली, इंफाल, अगरतला, उदयपुर, देहरादून और राजमुंदरी ये हवाई अड्डे हैं।
अधिकांश एयरपोर्ट्स पिछले वित्तीय वर्षों से नुकसान में चल रहे हैं। कोरोना महामारी के कारण 137 में से 133 एयरपोर्ट्स भारी घाटे में रहे हैं। वीके सिंह लोकसभा में सांसद मिमी चक्रवर्ती के इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि पिछले 3 वित्तीय वर्षों में 136 एएआई हवाई अड्डों ने मुनाफा कमाया या घाटे में रहे। केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि कांडला (0.11 करोड़), कानपुर चकेरी (6.07 करोड़), बरेली (0.68 करोड़) और पोरबंदर (1.54 करोड़) को छोड़कर अन्य सभी हवाई अड्डों को भारी नुकसान हुआ है।
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे सहित 13 और हवाई अड्डों का प्रबंधन, संचालन और विकास पीपीपी मॉडल के आधार पर किया जाएगा। इन एयरपोर्ट को ऑपरेशन के लिए पीपीपी माध्यम के अधीन लाए जाने के बाद इनका स्वामित्व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास रहेगा और रियायत समयावधि के पूरा हो जाने पर इन सभी हवाईअड्डों का स्वामित्व अथॉरिटी के पास आ जाएगा।
सरकार का मानना है कि निजीकरण के बाद हवाई अड्डों पर यात्री सुविधाओं में इजाफा होगा। इसका मसकद यात्रियों के लिए वर्ल्ड क्लास सुविधाएं उपलब्ध कराना है। एएआई ने हाल ही में 50 वर्षों की अवधि के लिए पीपीपी के तहत संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए 6 हवाई अड्डों अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम, मंगलुरु को सम्मानित किया है।