प्रांतीय वॉच

नपं के शासकिय मुख्य अधिकारी ने कहा ब्लड रिलेसन होने पर ही की जायेगी कार्यवाही 

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  • मृतक की पास ऊपर जाकर आप पता कीजिए
  • अखबार वालों को जो छापना है छापे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
  • नगर में शासकिय भूमि पर कब्जे के सैकड़ों मामले मैं किन-किन पर कार्रवाई करूं

राजशेखर नायर/ नगरी। नगर पंचायत नगरी के शासकिय मुख्य अधिकारी ने पत्रकारों द्वारा एक शासकीय भूमि के कब्जे के संबंध में पूछे गए प्रश्न के जवाब में पत्रकारों से दूर व्यवहार करते हुए कहां की नगर में कई शासकीय भूमि पर कब्जे का मामला है मैं किन-किन पर कार्रवाई करूं? क्या मैं यही काम करने के लिए यहां बैठा हूं ? भूमि आपत्ती के मामले में मैं तभी कार्रवाई करूंगा, जब आपत्ति कर्ता का ब्लड रिलेशन हो, आपको जो छापना है, छापीए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। जब एक वरिष्ठ पत्रकार ने यह कहा कि जिस की भूमि कि चर्चा की जा रही है उनका स्वर्गवास हो चुका है, आप मामले की पूरी जांच कीजिए, तो नपं के उस मुख्य अधिकारी ने कहा कि आप भी उनके पास जाकर पता कर लीजिए।
नगर पंचायत नगरी के इस प्रमुख अधिकारी के व्यवहार से सभी पत्रकार गण स्तब्ध थे साथ ही उस समय उस पत्रकारों के अलावा एक पूर्व पार्षद भी उस अधिकारी के केबिन में मौजूद थे।
मामला एक भूमि पर कब्जा बता कर नाम दर्ज कराने के आवेदन पर लगाये गये आपत्ति के बावजूद विवादित भूमि को नाम दर्ज कर दिया गया इस मामले पर पत्रकारों को शिकायत मिलने पर अधिकारी से इस संबंध कुछ प्रश्न पूछे गए इस पर पत्रकारों को उस अधिकारी ने कहा कि अमुक व्यक्ति से आपका ब्लड रिलेशन नहीं है इसलिए मैं आपत्ति को खारिज करता हूं उसके बाद पूछे गए प्रश्नों पर उस अधिकारी द्वारा पत्रकारों के साथ एक पूर्व पार्षद की उपस्थिति में अपशब्दों का उपयोग कर दुर्व्यवहार किया गया उस अधिकारी ने यहां तक कहा कि आप भी मृतक के पास जाकर इस मामले की जानकारी लिजिये, इस पर एक वरिष्ठ पत्रकार ने आपत्ती करते हुए उस अधिकारी को सीमा में रहकर बात करने की नसीहत दी।
नगर पंचायत नगरी में इन दिनों कुछ जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में अधिकारी लोगों से दुर्व्यवहार कर रहे हैं। किसी भी तरह के पूछे गए प्रश्नों का जवाब देना उचित नहीं समझते और जो करना है कर लो वाली बात कहते हैं। अधिकारियों को कुछ प्रतिनिधियों, द्वारा ऊंची पहुंच का हवाला देकर उनके कहे अनुसार कार्य करने को मजबूर किया जाता है। जो वर्तमान में नगर पंचायत के चुने हुए जनप्रतिनिधि नहीं होने उसके बावजूद दिनभर नगर पंचायत में नजर आते हैं । और नगर पंचायत को अपने इशारों पर चलाते हैं, ऐसे में नगर की व्यवस्था चरमरा रही है, इन पर अंकुश लगना आवश्यक है ताकि अधिकारी स्वतंत्र रूप से निर्णय लेकर कार्य कर सकें।

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