- केंद्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग और जयपुर के कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट तकनीकी हस्तांतरण के लिए तैयार
रायपुर : छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर से प्राकृतिक पेंट भी बनाया जाएगा। इसके लिए गांव के गोठानों में प्लांट लगाने की तैयारी हो रही है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रस्ताव पर केंद्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग और जयपुर के कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट तकनीकी हस्तांतरण के लिए तैयार हैं। थोड़ी देर बाद ही छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग इन संस्थानों के साथ तकनीकी हस्तांरण संबंधी एक करार पर हस्ताक्षर करेगा।
अधिकारियों ने बताया, प्रथम चरण में राज्य के 75 गोठानों का चयन प्राकृतिक पेंट का प्लांट लगाने के लिए किया गया है। यहां प्राकृतिक पेंट निर्माण सह कार्बोक्सी मिथाइल सेल्यूलोज निर्माण की इकाई की स्थापना की जाएगी। प्राकृतिक पेंट निर्माण की तकनीक कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय ने विकसित की है। प्राकृतिक पेंट का मुख्य घटक कार्बोक्सी मिथाइल सेल्यूलोज (CMC) होता है। 100 किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा CMC बनता है। प्राकृतिक पेंट की मात्रा में 30 प्रतिशत भाग CMC का होता है। 500 लीटर प्राकृतिक पेंट बनाने हेतु लगभग 30 किलो सूखा CMC की जरूरत होती है। बताया गया, गोठानों में प्राकृतिक पेंट निर्माण के लिए स्व-सहायता समूहों की महिलाओं, श्रमिकों और युवाओं को कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट, जयपुर की ओर से प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। जयपुर के इस प्लांट में गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण का काम जुलाई 2021 से हो रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने इसका उद्घाटन किया था।
दो रुपए प्रति किलो की दर से गोबर खरीदी
राज्य सरकार ने जुलाई 2020 से गोधन न्याय योजना शुरू की है। इसके तहत वह गोठानों के जरिए दो रुपए प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदती है। राज्य में अब तक 10 हजार 538 गोठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है। जिसमें से 7 हजार 714 गोठान निर्मित एवं सक्रिय रूप से संचालित हैं। सक्रिय गोठानों से 1 लाख 85 हजार 320 पशुपालक जुड़े हुए हैं।
अभी तक कम्पोस्ट और बिजली बनती रही
गोठानों में गोबर खरीदी की स्थिति यह है कि सितम्बर महीने तक के गोबर के लिए सरकार 104 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है। इस गोबर से कम्पोस्ट बनाया जाता है। इसके अलावा हवन के गोकाष्ठ, गोबर के दीपक, सजावटी सामान आदि भी बनाए और बेचे जा रहे हैं। अभी हाल ही में कुछ गोठानों में गोबर से बिजली बनाने की परियोजना भी शुरू हुई है।