देश दुनिया वॉच

तिरछी नजर : पूर्व एजी से सलाह

Share this

झीरम कांड की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को क्यों सौंपी गई, इसकी ठीक-ठीक जानकारी तो सामने नहीं आई है। लेकिन चर्चा है कि राज्यपाल ने रिपोर्ट को लेकर पूर्व एजी कनक तिवारी से अभिमत मांगा था। तिवारी जी के लिखित में अभिमत आने के बाद ही राज्यपाल ने न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट मुख्यमंत्री सचिवालय को भिजवाया। सरकार को आयोग की रिपोर्ट में कोई दिलचस्पी नहीं रह गई है। रिपोर्ट को जस की तस नए सदस्यों को भेजने जा रही है। भाजपा विधानसभा के पहले दिन रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने के लिए अभी से योजना बना रही है। कुल मिलाकर झीरम को लेकर प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया है।

ऐसे निपटे डीजी

सीएम के एसपी कॉन्फ्रेंस में तीखे तेवर के बाद डीजीपी को हटाए जाने के संकेत मिल गए थे। दो दिन बाद ऑर्डर भी हो गया। भूपेश बघेल की खासियत है कि वे अफसरों पर पूरा भरोसा करते हैं और अगर कोई दाएं-बाएं होता है तो हटाने में देर नहीं करते।
चिटफंट कंपनियों के डायरेक्टरों के खिलाफ कार्रवाई सरकार की प्राथमिकता में था लेकिन डीएम अवस्थी इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई नहीं करा पा रहे थे। जुआ-सट्टा पर अकुंश नहीं लग पा रहा था।
सीएम यह भी कह गए थे कि किस थाने का रेट क्या है, उन्हें पूरी जानकारी है। कहा तो यह भी जा रहा है कि जिन ताकतवर अफसरों के खिलाफ अवस्थी के स्तर पर कार्रवाई होनी चाहिए थी, उसमें ढिलाई बरती गई। ऐसे में अवस्थी को हटना ही था।

सैंया भय कोतवाल

सरकार जाने के बाद भाजपा के मालदार नेता पार्टी कार्यक्रमों के लिए छोटी-छोटी राशि देने में आनाकानी करने लगे हैं। एक नेता को मीडिया में पार्टी का पक्ष रखने की जिम्मेदारी दी गई है। वैसे तो बरसों से वो ये काम कर रहे हैं, लेकिन टीवी में आने के कारण सरकार के लोग भी थोड़ा महत्व भी दे रहे हैं। नेताजी का जमीन और होटल का बड़ा कारोबार है और कई ऐसे काम जो भाजपा सरकार के रहते नहीं हुआ था। कांग्रेस सरकार में कराने में सफल रहे। और जब नेताजी को मीडिया वालों के लिए दीवाली मिलन का खर्चा उठाने के लिए कहा गया तो हाथ जोड़ लिए। नेताजी रोज डिबेट की फुटेज प्रदेश प्रभारी को भेजना नहीं भूलते हैं। उनकी वाकपटुता से प्रभारी खुश हैं। अब शीर्ष नेता संतुष्ट हैं, तो बाकी की परवाह कौन करता है।

हिसाब में पूर्व मंत्री को होटल मिला

भाजपा शासनकाल में मंत्रियों और उनके करीबियों का हिसाब-किताब सत्ता जाने के 3 साल बाद चल रहा है। एक पूर्व तेज तर्रार मंत्री ने शासन में रहते हुये अपना पैसा एक बिल्डर के कामकाज में लगाया था जिसका हिसाब किताब होने के बाद मंत्री को होटल मिल गया । साफ सुथरा हिसाब के बाद रिश्तेदारी भी जुडऩे की खबर है।

सरकारी अध्यक्ष का वजन

भाजपा सरकार के समय प्रदेश अध्यक्ष रहे बिष्णुदेव साय सरकार जाने के बावजूद भी अध्यक्ष के पद में है। अब भाजपाई यह सवाल उठा रहें है कि सरकारी अध्यक्ष और विपक्ष के अध्यक्ष में अंतर होता है। विपक्ष का अध्यक्ष दौरा प्रदर्शन आंदोलन धुल से सने कपड़ों के बीच रहता है। गुटीय समीकरण से बने बिष्णुदेव साय को अभी तक डा. रमन की टीम का साथ नहीं मिल पा रही है।

भाजपा में चलते घमासान का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के नेतृत्व में आधा दर्जन पूर्व मंत्री और दिग्गज नेता प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन धरना प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे है। मिडिया की सुर्खियों में है । संगठन द्बारा नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष सहित अन्य पदों पर पदस्थ नेताओं की अगुवाई में चल रहे सरकार विरोधी आंदोलन को तवज्जों नहीं मिल रही है।

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *