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गैस सिलेंडर 1000 में, सब्सिडी फिर घटी, वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम ने 107 का आंकड़ा किया पार। किचन का बजट गड़बड़ाया

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तिलकराम मंडावी/डोंगरगढ़ : घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत भी अब 1000 का आंकड़ा पार कर गई है। आम लोगों के जीवन की जीडीपी यानी गैस, डिजल व पेट्रोल के दाम में लगातार बढ़ोतरी होनें से महंगाई तो बढ़ ही रही है साथ ही गरीब तबके के किचन का बजट गड़बड़ हो गया है। नौकरीपेषा लोगों के महंगाई भत्तें में वृद्धि होनें से उन पर खासा बोझ तो नहीं पड़ा है, लेकिन रोजी-मजदूरी करनें वालें आम लोग महंगाई से परेषान हो गए है। दो माह के भीतर सिलेंडर के दाम 50 रूपए तक बढ़े। एजेंसी होम डिलीवरी कर 1020 रूपए में उपलब्ध करा रही है। इस साल के 10 महीनों में गैस सिलेंडर की कीमत में अभी तक करीब 260 रूपए तक की रिकार्ड बढ़ोतरी हो चुकी है। पेट्रोलियम कंपनियों ने इस साल सिलेंडर की कीमत केवल एक बार घटाई है वह भी केवल रूपए। हालांकि बाद में फिर से बढ़ा दी गई। यहीं वजह है कि सिलेंडर की कीमत लगातार बढ़ रही है। साल की षुरूआत की बात की जाएं तो जनवरी में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत करीब 710 रूपए थी। उसके बाद से कीमत बढ़नें लगी। लगभग हर महीनें दाम बढ़नें के कारण 10 महीनें में ही सिलेंडर की कीमत 1000 रूपए तक पहुंच रही है। तीनों गैस कंपनियों की ओर से 1 नवंबर को सिलेंडरों की नई कीमत फिर घोशित की जाएगी। तेल कंपनियों की ओर से गैस एजेंसियों को नई दरों के लिए जो टेªंड बनाएं जा रहे है, उसमें 14.2 किलो का रसोई गैस सिलेंडर 40 व 19 किलो के कमर्षियल सिलेंडर 100 रूपए से ज्यादा तक महंगे हो सकतें है। इसलिए दावा किया जा रहा है कि नवंबर की षुरूआत में घरेलू सिलेंडर के दाम में फिर से इजाफा होगा। इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा।
सिलेंडर के दाम बढ़ रहे लेकिन सब्सिडी भी कम हो रहा- गैस सिलेंडर की कीमत जिस तेजी से बढ़ रही है, सब्सिडी भी उतनी ही तेजी से घट रही है। इस साल करीब 10 महीनें में लोगों के खातों में 67 रूपए सब्सिडी के तौर पर जमा हो रहे थे। लेकिन अब इसमें भी कमी आनी षुरू हो गई है। अभी जो लोग सिलेंडरों की बुकिंग करा रहे है, उन्हें सब्सिडी के तौर पर केवल 41 रूपए मिल रहे है। अगलें महीनें सिलेंडर की कीमत बढ़नें के बाद सब्सिडी घटकर 21 रूपए हो जाएगी। मध्यप्रदेष, राजस्थान समेत कई राज्यों में सब्सिडी अभी 21 रूपए आस-पास ही जमा हो रही है।
उज्जवला योजना के हितग्राही रिफिलिंग नहीं करा रहे- इधर बढ़ती कीमतों के बीच गरीब हितग्राहियों ने सिलेंडरों की रिफिलिंग कराना कम कर दिया है। वे वापस चूल्हा जलाकर काम चला रहे है। क्योंकि उज्जवला योजना के तहत गरीबों को 200 रूपए में कनेक्षन उपलब्ध कराया गया था। लेकिन अब रिफिलिंग करानें के लिए उन्हें 1020 रू खर्च करना पड़ रहा है। इसलिए अब ऐसे हितग्राहियों की संख्या लगातार कम हो रही है। वहीं सबसें अधिक हितग्राही ग्रामीण क्षेत्रों से है, जबकि षहरी क्षेत्र में लोग मजबूरी में रिफिलिंग करा रहे है।
दूसरी तरफ पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे- गैस सिलेंडरों के साथ ही षहर में पेट्रोल-डीजल के दाम भी लगातार बढ़ रहे है। अक्टूबर में ऐसा पहली बार हुआ है जब पेट्रोल-डीजल दोनों के दाम 100 रूपए के पार हो गए है। पेट्रोलियम कंपनियां प्रायः रोज रेट रिवाइज कर रही है। इसलिए दामों में फिलहाल कोई कमी नहीं हो रही है। डोंगरगढ़ में अभी पेट्रोल 107.47, डीजल 105.39 और स्पीड पेट्रोल 108.41 रूपए प्रति लीटर बिक रही है। पिछलें महीनें तक इनकी कीमत 100 रूपए से कम यानी 98-99 रूपए के आस-पास थी। केवल स्पीड पेट्रोल ही 100 रूपए से ज्यादा में मिल रहा था। लेकिन अब तीनों की कीमत 100 रू के पार हो गई है। इस महीनें अभी लगातार रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत कुछ न कुछ पैसे बढ़ ही रही है।
एकाउंट में महीनेंभर बाद पहुंच रही सिलेंडर की सब्सिडी-सिलेंडर लेनें वालें उपभोक्ताओं ने बताया कि अभी सब्सिडी की रकम कम से कम एक महीनें देर से मिल रही है। एक बार सिलेंडर लेनें के बाद दूसरी बार नंबर लगानें का समय आ जाता है, लेकिन सब्सिडी की रकम खातें में नहीं पहुंचती है। इसकी षिकायत गैस एजेंसियों से भी की जा रही है। लेकिन वे पेट्रोलियम कंपनियों का बहाना कर अपना पल्ला झाड़ रहे है। कंपनी के अफसर इस मामलें में सीधे गैस एजेंसियों पर आरोप लगातें है कि बैंकों तक सब्सिडी की रकम उन्हें ही पहुंचानी है। क्योंकि सिलेंडरों की पूरी रकम एजेंसियों के पास पहुंचती है।
आम आदमी के किचन का बजट गड़बड़ाया- गैस, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार उछाल होनें से आम आदमी के किचन का बजट गड़बड़ा गया है। क्योंकि तीनों के दाम बढ़नें से महंगाई बढ़ रही है। दैनिक उपयोग के सामानों में वृद्धि होनें से खासकर गरीब तबके के लोगों पर असर पड़ रहा है। क्योंकि नौकरीपेषा अधिकारी-कर्मचारियों को केंद्र व राज्य सरकार महंगाई भत्ता दे रही है। जबकि महंगाई सभी वर्ग के लिए एक समान है। गरीबों को राहत देनें के लिए सरकार ने भी अब तक कोई कदम नहीं उठाया है।

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