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‘अब 4 हाथों से ज्यादा नहीं घूमेगी फाइल’, बड़े सुधार की सरकार ने की तैयारी, ये है पूरा प्लान

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नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने नौकरशाही के कामकाज में बड़े सुधार की तैयारी कर ली है. छह साल से इसकी कोशिश में जुटी सरकार आखिरकार अगले महीने से कामकाज की समयसीमा को तेज करने की कार्यप्रणाली लागू करने की कोशिश में है. सरकार के इस फैसले के बाद से अब कोई भी फाइल चार हाथों से ज्यादा नहीं गुजरेगी. NEWS 18 की रिपोर्ट के मुताबिक अब नए सिस्टम के जरिए मंत्री भी एक-दूसरो को ई-फाइल समिट कर सकेंगे. सूत्रों के मुताबिक इस तरह के कदम से सरकारी कार्यालयों में कार्यात्मक परिवर्तन के साथ ही काम में तेजी आएगी.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस संबंध में कहा है कि कुल 58 मंत्रालयों और विभागों ने फाइलों को चार स्तरों पर लाने के लिए “सबमिशन चैनल” की समीक्षा की है. इसके अलावा अन्य मंत्रालय भी इस दिशा में आगे बढ़ने का काम कर रहे हैं. अगले महीने तक इसके अमल में आने की उम्मीद है. इससे पहले केंद्र की मोदी सरकार ने 2015 में नीतिगत निर्णयों में तेजी लाने के लिए सबमिशन स्तरों के चैनल को कम करने के लिए एक अभियान शुरू किया था. जिसके जरिए जो फाइलें 10-12 स्तर से गुजरती थीं, उन्हें 6-7 स्तर तक ले आया गया. सबमिशन चैनल को कम करने के लिए पिछले छह साल में करीब 300 मीटिंग्स हुई हैं.

ई फाईल जमा करने की सुविधा
सरकार ने इस महीने ई-ऑफिस 7.0 संस्करण शुरू किया है. इसके जरिए दो मंत्रालयों के बीच फाइल का ई सबमिशन हो सकेगा. अब तक मंत्रालयों अंदर के कामों के लिए ई-ऑफिस की सुविधा उपलब्ध थी. सभी 84 मंत्रालयों और विभागों के नवंबर में ई-ऑफिस 7.0 में बदलने की उम्मीद जताई जा रही है. 32 हजार से ज्यादा ई-फाइलें अब हर रोज बनाई जा रही हैं. देश में तकरीबन इस वक्त 25 लाख के करीब ई फाइलें मौजूद हैं. सबमिशन के चैनल के जो स्तर पहचाने गए हैं, उनमें सचिव, अतिरिक्त सचिव या संयुक्त सचिव, निदेशक या उप सचिव या अवर सचिव और अन्य स्तर हैं.

क्या है फैसले के पीछे की सोच
इस फैसले के पीछे विचार ये है कि एक श्रेणी के किसी अधिकारी को उसी श्रेणी के किसी अन्य अधिकारी को फाइल जमा करने की आवश्यकता नहीं है. संयुक्त सचिवों और अतिरिक्त सचिवों और निदेशक, उप सचिव और अवर सचिव के बीच फाइल जमा करने की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए सभी मंत्रालय अब उपयुक्त संशोधनों के साथ इस पद्धति को अपना रहे हैं. यह भी प्रस्तावित है कि बिल्कुल नियमित मामलों का निपटारा सिर्फ एक स्तर पर किया जाए. एक अधिकारी ने कहा कि यह अभ्यास 2015 में शुरू हुआ था और सभी मंत्रालयों को बोर्ड में लाने में इतना समय लगा.

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