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गोरखपुर कांड : होटल का कमरा, 3 दोस्त और पुलिस की दस्तक, मनीष मर्डर की थर्रा देने वाली कहानी

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नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में पुलिस की खाकी वर्दी खून से लाल हो गई. इस बार वो खून एक बेगुनाह का है, जिसकी गलती ये थी कि वो अपने दोस्तों के साथ गोरखपुर घूमने चला गया था. वो अपने दोस्तों के साथ गोरक्षनाथ मंदिर जाने की तैयारी कर रहा था. लेकिन 6 वर्दी वाले गुंडों ने उसे पीट-पीटकर उसकी जान ले ली. आखिर ये सब कैसे हुआ और उस बेगुनाह के कत्ल के बाद क्या हो रहा है? यही सब हम आपको बताने जा रहे हैं.

कौन थे मनीष गुप्ता

मनीष गुप्ता मूल रूप से कानपुर के रहने वाले थे. मनीष गुप्ता ने कॉलेज खत्म करने के बाद एमबीए किया था. पहले वो एक प्राइवेट बैंक में मैनेजर हुआ करते थे. पांच साल पहले उनकी शादी मीनाक्षी के साथ हुई थी. शादी के बाद पति-पत्नी दोनों का एक बेटा भी है अविराज. वो अब 4 साल का है. मनीष और मीनाक्षी शादी के बाद नोएडा आ गए थे और यहीं काम कर रहे थे. लेकिन पिछले साल कोरोना आया तो दोनों वापस अपने घर कानपुर लौट गए. अब वहां रहकर मनीष प्रॉपर्टी का काम कर रहे थे. मनीष का रुझान राजनीति की तरफ हुआ तो चार महीने पहले ही उन्होंने सत्तारुढ बीजेपी में कदम रखा. वो भाजपा के सभी कार्यक्रमों में भागेदारी करते थे.

दोस्तों के साथ गोरखपुर पहुंचे थे मनीष

पांच साल पहले गुड़गांव के रहने वाले अरविंद सिंह और प्रदीप कुमार से मनीष गुप्ता की दोस्ती हो गई थी. पहले मनीष एक इवेंट में प्रदीप कुमार से मिले थे और प्रदीप के जरिए उनकी दोस्ती अरविंद सिंह के साथ हुई थी. तीनों दोस्तों में खूब जमती थी. अभी करीब 10 दिन पहले की इन तीनों के किसी परिचित ने उन लोगों के सामने गोरखपुर की तारीफ की थी. वो तारीफ सुनकर ही मनीष अपने दोनों दोस्तों के साथ गोरखपुर जाने की योजना बना डाली. सोमवार को तीनों दोस्त गोरखपुर में थे. वहां तीनों रामगढ़ताल थाना इलाके के कृष्‍णा पैलेस में ठहरे थे. तीनों ने सोमवार को वहां वोटिंग भी की और फिर सुबह उठकर गोरक्षनाथ मंदिर जाने का प्रोग्राम बनाया. देर शाम तीनों दोस्त होटल आए और सोने की तैयारियां करने लगे. इसी बीच, मनीष को नींद आ गई.

होटल में पुलिस की एंट्री

36 साल के प्रॉपर्टी डीलर मनीष कुमार गुप्‍ता अपने दोस्‍त अरविंद सिंह और प्रदीप के साथ गोरखपुर के देवरिया बाईपास रोड पर मौजूद कृष्‍णा पैलेस के कमरा नंबर 512 में ठहरे हुए थे. वे यहां पर अपने दोस्‍त गोरखपुर के बढ़यापार निवासी चंदन सैनी और राणा प्रताप चंद से मिलने के लिए आए थे. सोमवार की रात तीनों खाना खाकर सोने के लिए लेट गए थे. मनीष गुप्ता को नींद आ चुकी थी. अरविंद और प्रदीप भी सोने की तैयारी में थे. तभी रात के 12.30 बजे उनके दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी. प्रदीप और अरविंद ने दरवाजा खोला तो रामगढ़ताल थाने के थाना प्रभारी जेएन सिंह, सब्‍जी मंडी चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा समेत छह पुलिसकर्मी उनके कमरे में घुस आए और उनसे पहचान पत्र दिखाने की बात करने लगे.

पहचान पत्र दिखाने के बावजूद मारपीट

पुलिस के कहने पर अरविंद और प्रदीप ने कहा कि पहचान पत्र नीचे रिसेप्‍शन पर भी है. जिस पर पुलिसकर्मी अकड़ने लगे. तब उन दोनों ने अपने आईडी पुलिसवालों को दिखा दिए. मनीष सो रहे थे, तो उनके पर्स से आईडी निकालकर उन दोनों ने पुलिसवालों को दिखा दिया. लेकिन फिर भी पुलिसवाले उन्हें नीचे चलने के लिए कहने लगे. इस बीच मनीष की आंख भी खुल गई. तीनों ने पुलिसवालों का व्यवहार देखकर कहा कि वे तीनों कोई आतंकी नहीं हैं. इस पुलिसवालों ने उन तीनों पर थप्‍पड़ बरसाने शुरू कर दिए और दो पुलिसवाले अरविंद और प्रदीप को लेकर नीचे चले आए. कुछ देर बाद जब पुलिसवाले लिफ्ट से मनीष को नीचे घसीटते हुए लेकर आए तो उनकी नाक और मुंह से खून बह रहा था. मनीष को देखकर साफ पता लग रहा था कि उनके साथ बेरहमी से मारपीट की गई है.

अस्पताल में मनीष को मृत घोषित किया

दरिंदों की तरह मारपीट करने के बाद पुलिसवाले अधमरे हो चुके मनीष गुप्ता को लेकर पहले एक निजी अस्‍पताल पहुंचे और फिर बीआरडी मेडिकल कालेज ले गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था. इसके बाद आनन फानन में पुलिस ने मनीष के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया. इस बात की सूचना उनके दोस्तों ने फोन पर परिजनों को दी तो उनके होश उड़ गए. कानपुर में मनीष के घर मातम पसर गया. मंगलवार को मनीष की पत्नी और अन्य परिजन गोरखपुर जा पहुंचे. उसी दिन से यह मामला पहले लोकल मीडिया में छाया तो पुलिस ने मामले को रफा दफा करने की नाकाम कोशिश शुरु कर दी. यहां तक कि गोरखपुर के एसएसपी ने भी इस मामले लीपापोती करने वाला बयान जारी कर दिया. वो साफतौर पर अपने कारिदों की करतूत को छिपाने की कोशिश कर रहे थे.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने खोली दरिंदगी की पोल

मंगलवार को मनीष गुप्ता की पोस्टमॉर्टम ने पुलिस की करतूत को बेनकाब कर दिया. किस बेरहमी के साथ 6 पुलिसवालों ने मनीष का कत्ल किया, उसकी हकीकत खुद पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने बयां कर दी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक मनीष गुप्ता की मौत का सबब पिटाई ही थी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मनीष गुप्ता के शरीर पर चार गंभीर चोट के निशान मिले हैं. जबकि सिर में जो गहरी चोट लगी थी, वह उनके लिए जानलेवा साबित हुई. रिपोर्ट में पता चला है कि मनीष गुप्ता के दाहिने हाथ की कलाई पर डंडे से गंभीर चोट लगी थी. इसके अलावा दाहिने हाथ की बांह पर डंडे की पिटाई के निशान भी मिले हैं और बाएं आंख की ऊपरी परत पर भी चोट लगी है. मनीष गुप्ता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिखाती है कि किस तरह उनके साथ बर्बरता की गई और यही पिटाई मौत का कारण बनी.

एसएसपी को पत्र को लिखकर लगाई गुहार

मंगलवार को ही मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने एसएसपी गोरखपुर को एक प्रार्थना पत्र देकर पति के कत्ल के लिए जिम्मेदार पुलिसवालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगाई. तब तक मनीष की हत्या का मामला तूल पकड़ चुका था. मीडिया और सियासी हलकों में भी इस मामले की गूंज दिखने लगी. वर्दी की गुंडई पर हंगामा शुरु हो चुका था. विपक्षी नेताओं ने भी इस हत्या को लेकर योगी सरकार और पुलिस को निशाने पर ले लिया.

मीनाक्षी पर दबाव बनाने की कोशिश

हद तो तब हो गई, जब इसी दौरान पुलिस के आला अफसरों ने मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता से मुलाकात की और उनसे अपनी शिकायत वापस लेने की बात कही. वे मिनाक्षी पर ये कहकर दबाव बनाने लगे कि 6 पुलिसवालों के परिवार बर्बाद हो जाएंगे. पुलिस अफसरों की इस करतूत का एक वीडियो भी सामने आ गया. तो मामला और गर्मा गया. पुलिस ने पूरी तरह से सरकार की किरकिरी करा दी.

मीनाक्षी गुप्ता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज

पुलिस और सरकार की किरकिरी होने के बाद आखिरकार गोरखपुर पुलिस ने आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. जब मामले ने और तूल पकड़ा तो बुधवार को आरोपी 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया और जिनमें से 3 पर नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है.

आरोपी पुलिसकर्मियों की पहचान

मनीष गुप्ता की हत्या के मामले में जिन छह पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया है, उनकी पहचान रामगढ़ताल थाने के एसएचओ जगत नारायण सिंह, अक्षय मिश्रा, विजय यादव, राहुल दुबे, कांस्टेबल कमलेश यादव और प्रशांत कुमार के रूप में हुई है. प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता की तहरीर पर तीन पुलिसकर्मियों पर नामजद मुकदमा दायर किया गया है. एसएचओ जगत नारायण सिंह, एसआई अक्षय मिश्रा और एसआई विजय यादव पर केस दर्ज किया गया है. बाकी तीन पुलिसकर्मियों को अज्ञात लिखा गया है. हालांकि अभी तक इस मामले में किसी भी आरोपी पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

सामने आया मनीष का आखरी ऑडियो

मनीष गुप्ता और एक शख्स के बीच की बातचीत का ऑडियो भी सामने आया है. यह ऑडियो मनीष की मौत से पहले का बताया जा रहा है. इस ऑडियो में मनीष कहते हैं कि पुलिसवाले आ गए हैं, यहां माहौल बिगड़ रहा है. मनीष गुप्ता की आखिरी बार दुर्गेश बाजपेई से बात हुई. दुर्गेश के पास रात 12:15 के करीब फोन आया था, उन्होंने कहा कि बेटा कुछ पुलिस वाले आए हैं, हम लोग सो रहे थे, जब दरवाजा खोला तो बोले कि अपनी आईडी दिखा दो कप्तान साहब का आदेश है तो उन्होंने अपनी आईडी दिखा दी. ‘फिर पुलिस वाले बोले अपना बैग चेक कराओ, बैग चेक कराने के बाद मैंने बोला कि आईडी चेक करनी थी तो नीचे चेक कर लेते तो एसओ बोले तुम मुझसे जुबान चलाओगे, इसके बाद पुलिस वाले उनको अपने साथ ले गए, बाद में सूचना मिली की उनके ब्लीडिंग ज्यादा हो रही है.

आरोपियों के पक्ष में ADG की ‘भगदड़ थ्योरी’

गुरुवार को राज्य के एडीजी (लॉ एंड आर्डर) प्रशांत कुमार इस मुद्दे पर पुलिस का पक्ष रखने के लिए खुद सामने आए और अपने कारिंदों को बचाने के लिए ‘भगदड़ थ्योरी’ पेश कर दी. साथ में ये भी कहा कि दोषी कोई भी हो उसे छोड़ा नहीं जाएगा.एडीजी प्रशांत कुमार के मुताबिक शुरुआत में यह बताया गया कि पुलिस वहां होटल में जांच करने पहुंची थी कि कुछ लोग वहां किन वजहों से रुके हैं? इसी दौरान वहां पर भगदड़ हो हुई और गिरने से मनीष गुप्ता को चोट आई है, ऐसा बताया गया है. लेकिन अब पूरे मामले की तफ्तीश की जा रही है

अंतिम संस्कार के लिए नहीं माना परिवार

इधर, मनीष की पत्नी और अन्य परिजन शव लेकर कानपुर पहुंचे. लेकिन बुधवार को उन्होंने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया. मीनाक्षी गुप्ता का कहना था कि पहले वे मुख्यमंत्री से मिलेंगी तब संस्कार होगा. लेकिन कानपुर पुलिस के कमिश्नर और अन्य अधिकारियों के समझाने पर वो मान गईं. उन्हें आश्वासन दिया गया कि गुरुवार को उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलवाया जाएगा. लेकिन इसके बाद परिजनों की सलाह पर फिर से उन्होंने अंतिम संस्कार के लिए मना कर दिया. कानपुर में मनीष के घर पर पुलिस और परिजनों में बॉडी उठाने को लेकर झड़प भी हुई है. परिजन लिखित सहायता और कार्यवाई को लेकर अड़े थे. वहीं सपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस के विरोध में नारेबाजी की.

गुरुवार को अखिलेश यादव पहुंचे मनीष के घर

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार को कानपुर में प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता के परिवार वालों से मुलाकात की. गोरखपुर में पुलिसवालों द्वारा होटल में बेरहमी से मनीष गुप्ता की हत्या किए जाने के मामले में अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवारवालों और उनकी पत्नी से मुलाकात की. अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपये मदद देने का ऐलान किया. साथ ही अखिलेश यादव इस दौरान योगी सरकार पर जमकर बरसे. वे काफी देर तक मनीष के घर पर रहे.

होटल में चेकिंग की तस्वीरें आई सामने

मनीष गुप्ता की हत्या से पहले गोरखपुर पुलिस वो तस्वीरें सामने आ गई हैं, जिसमें पुलिसकर्मी होटल में मनीष और उनके दोस्तों की तलाशी लेते हुए दिखाई दे रहे हैं. होटल के कमरे में रामगढ़ताल थाना इंचार्ज जगत नारायण सिंह और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा आईडी चेक करते हुए नजर आ रहे हैं. इन तस्वीरों में थाना इंचार्ज जगत नारायण सिंह और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा होटल के कर्मचारियों के साथ मनीष और उनके दोस्तों की आईडी चेक करते हुए दिख रहे हैं. एक फोटो में मनीष का दोस्त बैग खोलता हुआ दिखाई दे रहा है. दोनों फोटो में मनीष गुप्ता दिखाई दे रहे हैं.

सीएम ने पीड़ित परिवार से की मुलाकात

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता के परिवार से मुलाकात की. कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में एक होटल में पुलिस की पिटाई से मौत हो गई थी. सीएम योगी ने मनीष की पत्नी मीनाक्षी से मुलाकात की और उन्हें इंसाफ दिलाने का पूरा भरोसा दिलाया. साथ ही मनीष की पत्नी को सरकारी नौकरी और मुआवजा दिए जाने की बात भी कही. बता दें कि मनीष गुप्ता खुद भी चार माह पहले भाजपा में शामिल हो गए थे.

विपक्षी दलों ने साधा निशाना

इससे पहले प्रियंका गांधी ने परिजनों से की बातकांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी से फोन पर बात की. इसके बाद ट्वीट करके प्रियंका ने कहा, ‘खबरों के अनुसार गोरखपुर में एक कारोबारी को पुलिस ने इतना पीटा कि उनकी मृत्यु हो गई, इस घटना से पूरे प्रदेश के आमजनों में भय व्याप्त है, इस सरकार में जंगलराज का ये आलम. बसपा सुप्रीमो मायावती ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘गोरखपुर की पुलिस द्वारा होटल में रात्रि रेड करके तीन व्यापारियों के साथ बर्बर व्यवहार व उसमें से एक की मौत अति-दुःखद व शर्मनाक घटना, जो राज्य में भाजपा सरकार के कानून-व्यवस्था के दावों की पोल खोलता है, वास्तव में ऐसी घटनाओं से पूरा प्रदेश पीड़ित है.

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