प्रांतीय वॉच

हाईकोर्ट का यह अहम फैसला एट्रोसिटी एक्ट के प्रकरणों में नजीर के रूप में काम आएगा |

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बिलासपुर ब्यूरो (कमलेश लवहात्रे ) | एट्रोसिटी के मामले में हाइकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पक्षकारो को राहत दी है। हाइकोर्ट ने कहा कि जब तक जातिसूचक अपशब्द या अपमानित करने की विशिष्ट जानकारी न हो मामला एट्रोसिटी का नहीं हो सकता।अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का आरोप सिर्फ इस आधार पर दर्ज नहीं किया जा सकता कि पीड़ित पक्ष उस जाति से संबंधित है, जब तक देहाती नालिसी या FIR में विवाद के दौरान जातिसूचक गाली व अपमानित करने की विशिष्ट जानकारी न हो, तब एट्रोसिटी एक्ट की धाराएं जोड़कर प्रकरण दर्ज नहीं किया जा सकता। यह आदेश छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट जस्ट्रिस एन के चंद्रवंशी की सिंगल बेंच ने राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ थाना क्षेत्र, ग्राम रूद्रगांव के एक मामले में अपने महत्वपूर्ण फैसले के तहत जारी किया है। इस फैसले को एप्रुवल फॉर7 ऑर्डर माना गया है, छत्तीसगढ हाईकोर्ट का यह अहम फैसला एट्रोसिटी एक्ट के प्रकरणों में नजीर के रूप में काम आएगा।

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