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दाऊ जी रतनपुर को भी बनाए जिला: डा. राजू श्रीवास

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शुभम श्रीवास/रतनपुर : छत्तीसगढ़ में प्राचीन समय में 36 गढ़ हुआ करता था और रतनपुर को छत्तीसगढ़ का राजधानी होने का गौरव प्राप्त था। इस गौरव की स्थापना रतनपुर को जिला बनाकर पुनः की जा सकती है। चारों युगों के शहर रतनपुर का एक समृद्ध इतिहास रहा है। नौ लाख छप्पर तिरपन हटरी और छप्पन बाजार की कहावत आज भी अंचल के लोगों के जुबान पर रची बसी है। यहां पर अनेक शासकों ने राज किया है अनेक प्रकार की लड़ाइयां लड़ी गई है । हैयहैयवंशी कल्चुरी शासकों ने मराठा शासन से पहले हजार बरसों तक रतनपुर को राजधानी बना कर छत्तीसगढ़ में शासन किया है । अंचल में बिखरे ऐतिहासिक इमारतों के भग्नावशेष इसके साक्षी है । रतनपुर प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ की राजधानी रही है और इसका एक समृद्ध इतिहास रहा है कलचुरी शासकों की राजधानी और मराठा शासकों का गढ़ रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा छत्तीसगढ़ में 36 जिला बनाने की है और इसी अनुरूप नए जिलों का गठन किया जा रहा है। अभी तक 32 जिला का गठन किया जा चुका है । 4 जिलों का गठन होना बाकी है। ऐसे छत्तीसगढ़ की प्राचीनतम राजधानी रहे रतनपुर के रहे गौरव और पुरा वैभव को संरक्षित करने रतनपुर को जिला क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए । पूर्व पार्षद और सामाजिक कार्यकर्ता डा. राजू श्रीवास ने रतनपुर को भी जिला का गौरव दिलाने की मांग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की है। उन्होंने कहा अभी तक छत्तीसगढ़ में 32 जिलों का गठन किया जा चुका है । अभी चार जिला और बनना संभावित है। रतनपुर राज के निवासियों की अपेक्षा है कि संभावित चार जिलों में एक जिला रतनपुर भी बनें। भूतपूर्व सरपंच और सामाजिक कार्यकर्ता नारायण प्रसाद यादव कहते हैं कि जब मोहला-मानपुर जैसे वनांचल के जिले के रूप में गठन किया जा सकता है तो कोटा और पाली ब्लॉक के साथ रतनपुर से लगे उत्तर बिल्हा ब्लॉक के गांवों को मिलाकर रतनपुर को जिला क्यों नहीं बनाना चाहिए । एक छोटा सा जिला बनाया जा सकता है रतनपुर वासियों का मांग है कि रतनपुर जिला बने और प्राचीन गौरव को प्राप्त करें।

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