रायपुर विशेष प्रतिनीधि। गुजरात सहित भाजपा शासित राज्यों में हो रहे चौकाने वाले फेरबदल को छत्तीसगढ़ भाजपा के लिए राजनैतिक संकेत के रूप में देखा जा सकता है। अगर उसी प्रकार फेर बदल किया गया तो तमाम दिग्गज नेताओं को घर में बैठाकर नये युवकों को महत्व दिया जाएगा।
भाजपा संगठन व सत्ताशीर्ष के स्तर पर संघ व नरेन्द्र मोदी की टीम जिस तरीके से फैसले ले रही है उससे नए लोगों के लिए रास्ता खुल रहा है और पुराने लोगों को सहसम्मान बिदाई के कार्यक्रम तक किये जा रहे है।
नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद भाजपा में नए-नए प्रयोग और निर्णय लिए जा रहे है। इस निर्णय के अलग-अलग राजनीतिक समीकरण और मापदंड तय किए गए है। इन निर्णयों से शोरगुल और हंगामा पार्टी के भीतर बरफ रही है। छत्तीसगढ़ भाजपा में गत विधानसभा चुनाव के समय इसी प्रकार के प्रयोग करने की मांग जोरशोर से उठी लेकिन प्रभावशाली गुट ने खारिज कर दिया था। आगामी विधानसभा चुनाव के समय नए लोगों को महत्व देने की चर्चा फिर से छिड़ गई है।
भाजपा छत्तीसगढ़ में फिर से सत्ता पाने के लिए कसरत शुरू कर दी है। शीर्ष स्तर के पदाधिकारी नेताओं की कार्यक्षमता रिपोर्ट का देख रहे है। जिसमें क्षमता है उसे जिम्मेदारी आगामी दिनों ही जा सकती है। इसमें कौन-कौन से नाम हो सकते हैं इसको लेकर कयास लगाये जा रहे हैं। इसमें जाति समीकरण सबसे ऊपर होगा।
भाजपा साहू समाज पर हर समय दांव लगाती है इस बार भी साहू समाज के लिए अलग से रणनीति बनाई जा रही है। साहू समाज के कई नेताओं को साधने की कोशिश भी चल रही है। पिछले 20 वर्षों से सक्रिय नेताओं के खिलाफ प्रदेश भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। आम जनता में भी पुराने चर्चित चेहरों को नापंसद किया जा रहा है।
पार्टी में प्रभावशाली माने जाने वाले गुट को किनारे किए जाने का डर सताने लगा है। बड़ी ही खामोशी से दिल्ली की तरफ सारे लोगों की निगाह है। कोई नीति बनाकर लोकसभा चुनाव की तरह नये लोगों को आगे लेकर आएगी। यह चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में आरएसएस चुनावी कमान अपने हाथ में ले सकती है। प्रदेश भाजपा में जनाधार विहिन व्यापारीनुमा नेताओं के भरोसे पार्टी चल रही थी। गहरी पैठ जमाने के लिए कई बार पार्टी ने सर्वे कराकर अंदरूनी हालातों को जानने की कोशिश की है। गुटबाजी से जूझती पार्टी को संजीवनी बूटी दिलाने के लिए कई संकटमोचक चाहिए उसकी तलाश है।