रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक स्कूल को हिंदी माध्यम के उत्कृष्ट स्कूल के तौर पर विकसित करने की घोषणा की है। इन स्कूलों को भी स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की तरह ही बनाया जाएगा। इनका नाम भी स्वामी आत्मानंद के नाम पर रखा जाना है। शिक्षक दिवस पर रायपुर स्थित आरडी तिवारी स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वहां रेनोवेशन कार्यों का लोकार्पण किया। उन्होंने शिक्षा मंडई का भी अवलोकन किया। उन्होंने कहा, पहले इस स्कूल में केवल 57 बच्चे पढ़ रहे थे। अब इस स्कूल में एक हजार से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। अभी एडमिशन की मारामारी है। पूरे रायपुर में तीन अंग्रेजी माध्यम स्कूल की हमने शुरुआत की। इसमें सभी वर्ग के लोगों के बच्चे पढाई कर रहे हैं। गरीब से गरीब व्यक्ति के बच्चे भी इसमें पढ़ रहे हैं। स्कूल की फीस भरने की जरूरत नहीं, कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म भी सरकार दे रही है। अब उन्हें इसकी चिंता की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल की शुरुआत यहीं रायपुर से हुई थी। हर जिले में एक की बात थी। डिमांड आती गई तो यह 172 हो गए हैं। जैसे-जैसे व्यवस्था होती जाएगी हम इसे बढ़ाते जाएंगे। हम अपनी राष्ट्रीय भाषा को भूल नहीं सकते। जो महापुरुषों के नाम से स्कूल हैं अथवा ऐतिहासिक स्कूलों का पुनर्निर्माण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, सात ऐसे ऐतिहासिक स्कूल को रेनोवेट किया जाएगा। वहीं सभी जिला मुख्यालयों पर एक-एक हिंदी माध्यम स्कूल का पुनर्निमाण कराया जाएगा, जिसे स्वामी आत्मानंद हिंदी माध्यम स्कूल कहा जाएगा। समारोह में स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, विधायक सत्यनारायण शर्मा, विकास उपाध्याय, कुलदीप जुनेजा, मेयर एजाज ढेबर, योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा आदि मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने स्कूल में खेल सुविधाओं के विकास के लिए दो करोड़ रुपए देने की घोषणा की। उन्होंने कहा, इस राशि से इस स्कूल की खेल सुविधाओं को अधिक विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने स्कूल शिक्षा विभाग और शिक्षकों के नवाचारों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ ने सबसे पहले आनलाइन पढ़ाई की शुरुआत की। बाद में देश के अन्य राज्यों और नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के लोग भी इसका फायदा उठाया। उन्होंने कहा, शिक्षकों ने क्या-क्या जतन नहीं किया बच्चों को पढ़ाने के लिए। कई नवाचार किए। सभी प्रशंसा के पात्र हैं।
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