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बारिश नहीं हुई तो सब्जी की पैदावार बढ़ी, तीज पर्व में करेला के दाम में पहली बार कमी, इधर किराना सामानों में वृद्धि से किचन का बजट गड़बड़ाया

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तिलकराम मंडावी/डोंगरगढ़ : बारिष नहीं होनें से धान की पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा। लेकिन इससे सब्जी की पैदावार दोगुनी हो गई है। जबकि सीजन में अच्छी बारिष होनें से लोकल बाड़ी से सब्जी की आवक कम होती थी और अगस्त-सितंबर में दाम में उछाल रहता था। दोनों ही स्थिति में किसानों को ही नुकसान उठाना पड़ रहा है। परंतु इस साल करेला के कीमत में भी भारी गिरावट हो गई है। जबकि तीज पर्व में करेला भात खाकर महिलाएं उपवास रहती है, इसलिए करेला की खासी डिमांड से दाम भी आसमान पर रहता है। राजनांदगांव मंडी के अलावा लोकल बाड़ी से भी सब्जी थोक मार्केट पहुंच रही है। आवक अधिक होनें से किसानों को अच्छा दाम भी नहीं मिल पा रहा है। इसलिए औने-पौने रेट में बेचकर किसान अपनी लागत निकाल रहे है। अल्प वर्शा से किसान पहलें ही धान के नुकसान होनें की मार झेल रहे है और थोड़ी बहुत सब्जी से उम्मीद थी। उसके भी दाम में कमी होनें से लागत निकालना मुष्किल हो गया है। हाई स्कूल के थोक सब्जी मार्केट में डोंगरगढ़ के अलावा खैरागढ़ व राजनांदगांव इलाके से सब्जियों की खेप पहुंच रही है। थोक मार्केट में करेला 12 रूपए बिक रहा है तो वहीं टमाटर भी 10 रूपए प्रति किलो में बोली लग रही है। लोकल बाड़ियों से करेला, लौकी, टमाटर, खीरा, गोभी, बैगन की खेप रोजाना मंडी पहुंच रही है। आवक अधिक होनें से दाम में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। किसानों को लागत निकालनें मजबूरी में सस्तें दाम पर बेचकर जाना पड़ रहा है।
इन सब्जियों के दाम में लगातार आई कमी- सब्जी व्यवसायी प्रहलाद सिन्हा ने बताया कि लोकल बाड़ी से आवक बढ़नें से ही दाम में कमी आई है। जबकि अच्छी बारिष होनें पर फसल नुकसान होनें से इन दिनों सब्जियों के दाम आसमान पर रहतें थे। चिल्हर में करेला 20 रू किलो, टमाटर 15-20 रू किलो, मिर्च 20 व 40 रू किलो, खीरा 20-25 रू किलो, बैगन 10-15 रू किलो, तोराई 40 रू किलो बिक रहा है। जबकि बाहर से आनें वालें सब्जियों में गोभी 60 रू किलो, जिमीकंद 80 रू किलो, सेम 60 रू किलो, पत्तागोथी 40 रू किलो बिक रहा है। लोकल के किसानों को मार्केट में दाम नहीं मिल पा रहा है।
किराना सामान के दाम ने बिगाड़ा किचन का बजट- किराना सामानों के दाम में बढ़ोतरी के पीछे पेट्रोल-डीजल के दाम में वृद्धि को वजह माना जा रहा है। किराना सामान के रेट बढ़नें से आम आदमी का गणित बिगड़ गया है। क्योंकि दाम बढ़नें से खर्च बढ़ गए है। खासकर दैनिक मजदूरी करनें वालें व मिडिल क्लास पर खासा बोझ बढ़ गया है। दैनिक उपयोग में आनें वालें सामानों के अलावा अन्य सामानों की कीमतों में महीनें भर के भीतर काफी वृद्धि हुई है। वहीं अफगास्तिान में तालिबान का कब्जा होनें के बाद ड्रायफूड की कीमतों में अचानक उछाल आया है। अफगास्तिान से सप्लाई रूकनें के बाद भारत में अचानक रेट बढ़ा दिए गए।
होटल व्यापारियों ने भी बढ़ा दिए नाष्ता के दाम- होटल व्यापारियों ने भी नाष्ता के दाम बढ़ा दिए है। खानें के तेल से लेकर अन्य खाद््य सामग्रियों के कीमतों में उछाल आनें के बाद नाष्ता का प्लेट भी महंगा हो गया है। होटलों में अब 20-25 रूपए प्रति प्लेट नाष्ता कर दिया गया है। व्यापारियों का कहना है कि दाम बढ़नें का पूरा गणित पेट्रोल-डीजल के कीमतों पर रहता है। पिछलें कई वर्शों से पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में बढ़ोतरी ही हुई है, इसलिए महंगाई बढ़ी है। कमी होनें पर खाद्य सामग्रियों के रेट भी गिर जाएंगे। लेकिन सरकार राहत देनें के लिए प्रयास ही नहीं कर रही।
राज्य सरकार वेट टैक्स घटाएं तो मिलेगी राहत- रणचंडी मंदिर के समीप निवासी गृहिणी व षहर भाजपा मंडल उपाध्यक्ष अचला सिंह ठाकुर ने कहा कि पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी से ही खाद्य सामग्रियों में वृद्धि हो रही है। राज्य सरकार यदि पेट्रोलियम पदार्थों में वेट टैक्स घटाएं तो आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी। लेकिन राज्य सरकार ऐसा कभी नहीं कर सकती। इसलिए महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है।
केंद्र सरकार नहीं चाहती महंगाई कम हो- ऑल इंडिया राजीव गांधी कांग्रेस कमेटी की प्रदेष अध्यक्ष नलिनी मेश्राम ने महंगाई के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया। पेट्रोलियम पदार्थों के दाम केंद्र सरकार तय करती है। जबकि पिछलें कई वर्शों से मोदी सरकार लगातार बढ़ोतरी कर रही है। इसलिए खाद्य सामग्रियों के अलावा अन्य सामानों के दाम में लगातार वृद्धि हो रही है। केंद्र सरकार चाहें तो पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में कमी करके देष की जनता को महंगाई की मार से बचा सकती है।

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