नई दिल्ली : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पूरी दुनिया चिंतित है. एक दिन बाद अमेरिकी सेना भी अफगानिस्तान की धरती छोड़ देगी, जिसके बाद माना जा रहा है कि तालिबान का असली चेहरा सामने आ सकता है. कट्टर संगठन के इतिहास को देखते हुए कोई भी देश जल्दी तालिबान पर विश्वास करना नहीं चाहते हैं. हालांकि, तालिबान लगातार दावा कर रहा है कि अब उसमें काफी बदलाव आ गए हैं और आने वाली सरकार के दौरान ये बदलाव देखने को भी मिलेंगे. ऐसे में कई देश वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं कि तालिबान वास्तव में बदल गया है या अभी सिर्फ दिखावा कर रहा है. तालिबान ने एक बार फिर से कहा है कि उससे भारत को कोई भी खतरा नहीं होने वाला है. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने हमारे सहयोगी अंग्रेजी चैनल ‘इंडिया टुडे’ की अक्षिता नंदगोपाल से बात करते हुए दावा किया है कि भारत एक अहम देश है और अफगानिस्तान की नई सरकार उनके लिए कोई खतरा नहीं होने जा रही है.
‘भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है तालिबान’
एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में जबीउल्लाह ने अफगानिस्तान के साथ भारत के अच्छे संबंधों को याद किया और कहा कि तालिबान के तहत गठित नई सरकार भारत के साथ अच्छे संबंध चाहती है. तालिबान द्वारा भारत के खिलाफ पाकिस्तान का पक्ष लेने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि ऐसी खबरें निराधार हैं. उन्होंने कहा, “तालिबान किसी अन्य देश को हमारे बीच नहीं आने देगा. हम भारत को आश्वस्त करते हैं कि हमारा पक्ष उनके लिए खतरा नहीं होगा.”
‘अफगानिस्तान में देशों के दूतावास चाहता है तालिबान’
26 अगस्त को मुजाहिद ने एक बयान में कहा था कि तालिबान पाकिस्तान को अपने ‘दूसरे घर’ के रूप में देखता है. मुजाहिद ने एक इंटरव्यू में कहा था, “अफगानिस्तान पाकिस्तान के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है. जब धर्म की बात आती है तो हम परंपरागत रूप से साथ होते हैं. दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के साथ मिलते हैं. इसलिए हम पाकिस्तान के साथ संबंधों को और गहरा करने की उम्मीद कर रहे हैं.” मुजाहिद ने कहा कि तालिबान चाहता है कि अफगानिस्तान में देशों के दूतावास हों. उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान में राजदूतों की मौजूदगी फायदेमंद है. हम चाहते हैं कि सभी देशों के हमारे साथ अच्छे संबंध हों.” उन्होंने कहा, “हमने राजदूतों को सुरक्षा मुहैया कराई है और हम उनके साथ अच्छे संबंध पसंद करेंगे.”
वहीं, पंजशीर घाटी को लेकर प्रवक्ता मुजाहिद ने कहा कि तालिबान और प्रतिरोध बलों के बीच बातचीत अब भी जारी है. दोनों पक्ष एक अंतिम राय तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. मैं यह नहीं कह सकता कि बाद में क्या होगा, लेकिन अक्सर हम युद्ध का सहारा नहीं लेते हैं. मालूम हो कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 33 प्रांतों पर तालिबान पूरी तरह से कब्जा जमा चुका है, जबकि सिर्फ पंजशीर में ही तालिबान का वर्चस्व नहीं है. वहां पर पंजशीर के शेर के बेटे कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और स्वघोषित अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह तालिबान को जोरदार टक्कर दे रहे हैं.