रायपुर : भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। 15 साल तक सत्ते में रहने के बाद भी बुरी तरह से हार का सामना करने वाली भाजपा अब जनता की नब्ज टटोलने और मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अंदरूनी सर्वे करवा रही है। सूत्रों के मुताबिक बीते 1 से डेढ़ महीने से सभी जिलों में अंदरूनी तौर बाहर से आए सर्वेयर जनता के बीच पहुंच रहे हैं। इस बात की चर्चा पार्टी के अंदर जोरों पर है। हालांकि भाजपा ने जिस प्रकार से प्रदेश प्रभारियों को बदला,उससे ही यह स्पष्ट हो गया था कि 2023 में पार्टी को तैयारियां अभी से पुख्ता रखनी होंगी। प्रदेश प्रभारी के तौर पर डी. पुरंदेश्वरी और पहली बार सह प्रभारी के तौर पर नितिन नबीन की नियुक्ति और उसके बाद राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश को राज्य का जिम्मा सौंपा जाना, ये सब पार्टी को फिर से खड़ा करने की कवायद है। ये तीनों नेता राज्य के सभी नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। जिन्हें नजरअंदाज किया जा रहा था, उनकी भी सुन रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि ये तीनों नेता सीधे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सीधे रिपोर्ट करते हैं, जो छत्तीसगढ़ के प्रभारी भी रह चुके हैं। यही वजह है कि इस बार राष्ट्रीय नेतृत्व को गुमराह करना मुश्किल होगा।
बड़ा सवाल: कौन होगा मुख्यमंत्री? बीते 2 महीने में बढ़ी सरगर्मी
डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में 4 में से 3 विधानसभा चुनाव जीतने वाली भाजपा में अब मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर असमंजस है। प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी 1-2 नहीं बल्कि 3-3 बार यह दोहरा चुकी हैं कि मुख्यमंत्री के चेहरे पर नहीं विकास पर चुनाव लड़ेंगे। उनके बयान के बाद डॉ. रमन ने भी कह दिया कि प्रदेश में कई चेहरे हैं, उनमें उनका भी एक छोटा सा चेहरा है। इसके बाद अचानक से भाजपा के अंदर सरगर्मी तेजी हुई। अनुसूचित जनजाति मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आदिवासी नेताओं ने शक्तिप्रदर्शन किया। फिर ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण ने रायपुर आकर कह दिया कि ओबीसी वर्ग भाजपा की सत्ता में वापसी करवाएगा।अब यह स्पष्ट है कि हर वर्ग से दावेदारी होगी।
संघ भी करवाता है सर्वे
भाजपा अपना सर्वे तो करवा ही है, साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) भी सर्वे करवाती है। 2018 के चुनाव में संघ के सर्वे में भाजपा को 40 से कम सीटों का अनुमान लगाया गया था। सत्ता में न आने के संकेत पहले ही दे दिए गए थे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा, निश्चित तौर पर चुनाव के पहले सर्वे होता है, हो भी रहा होगा, मगर यह गोपनीय होता है। यह जरूरी भी है, ताकि जनता क्या सोचती है और पिछले बार कहां-क्या कम रह गई थी। सब सामने आता है। इसके आधार पर पर चुनाव की तैयारियां होती है।
सर्वे के प्रमुख विषय
1- मुख्यमंत्री के तौर पर आप किसे पसंद करते हैं और क्यों?
2- पार्टी ने 2018 का चुनाव हारा, हार का कारण क्या मानते हैं?
3- मौजूदा सत्ताधारी दल (कांग्रेस) ने राज्य के विकास में क्या अहम फैसले लिए? क्या सत्ताधारी दल के काम से खुश हैं, अगर हैं तो क्यों?
4- क्या आप अपने क्षेत्र के पिछले चुनाव के उम्मीदवार को जानते थे, वे कितनी बार आपके क्षेत्र में आए? क्या काम किया? क्या उम्मीदवार बदलना चाहिए?