महेन्द सिंह/पांडुका/नवापारा/राजिम : श्रावण मास की पूर्णिमा पौराणिक काल से विशेष महत्व रखती है इस दिन रक्षाबंधन का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें बहने अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र अर्थात राखी बांधती हैं बदले में भाई उनकी रक्षा उनके सुख-दुख में शामिल होने का वचन देते हैं इसपर्व की पौराणिक महत्व की झलक महादानी दैत्य राज राजा बलि और भगवान विष्णु के द्वारा वामन अवतार लेकर तीन पग भूमि दान में मांग कर पृथ्वी और देवलोक को राजा बलि के आधिपत्य होने से बचाया था जिसमें दो पग में पृथ्वी और देव लोक को नापा था और तीसरा पग महादानी राजा बलि अपने सिर पर लिए थे। इसी पर नवापारा राजिम शिवांश पब्लिक स्कूल दसवीं के ब्रिलियंट छात्र आकाश सिंह जो धर्म-कर्म मैं अगाध विश्वास तथा भागवत गीता से लेकर पुराणों के अच्छे ज्ञाता हैं और इनको रक्षा सूत्र बांधने आईं दो बहने शिवानी पाटकर कालेज की छात्रा है और उनकी चचेरी बहन बेबी रिया पाटकर जोकि विश्व भारती पब्लिक स्कूल पटेवा की छात्रा है इन्होंने छत्तीसगढ़ वाच ब्यूरो प्रमुख महेंद्र सिंह ठाकुर से रक्षाबंधन की पूरी जानकारी साझा की, सर्वप्रथम मास्टर आकाश सिंह ने पौराणिक काल का रक्षा सूत्र का मंत्र बताया,,,,येन बध्दो बलीराजा दान बेध्दो महाबला,,,तेन त्वां मनु बन्धनामि रक्षे मा चला मा चला।।। अर्थात महादानी राजा बली जिस रक्षा सूत्र में बांधे गए थे उसी रक्षा सूत्र में मैं तुम्हें बांधता हूं जो कि हमेशा धर्म और सत्कर्म के मार्ग पर चलते हुए सर्वजन रक्षा और हित पर कायम रहे। यह रक्षा सूत्र मंत्र आमतौर पर विप्र वर्ग द्वारा रक्षाबंधन पर्व पर अपने यजमान और शिष्यों के हाथ में रक्षा सूत्र बांधते हुए कहा जाता है लेकिन यह सबके लिए सर्वमान्य है और इसी प्रसंग में शिवानी पाटकर और बेबी रिया ने बताया की महाभारत काल में जब कृष्ण ने शिशुपाल वध के लिए सुदर्शन चक्र चलाया था तो वापसी में चक्र से भगवान कृष्ण के अंगुली और कलाई में चोट आ गई थी और खून बहने लगा था जिसे देख द्रोपति तत्काल दौड़ कर अपने साड़ी का आंचल फाड़ कर उनकी उंगली और कलाई में पट्टी बांधी थी तभी भगवान कृष्ण ने उनकी रक्षा का वचन दिया था और द्रोपति चीरहरण के समय उसे पूरा भी किया। ऐतिहासिक काल में मेवाड़ क्षेत्र की रानी ने अपने राज्य की रक्षा के लिए हुमायूं को भी रक्षा सूत्र और संदेश भेजा था जिसे हुमायूं ने पूरी तरह निभाया। यह परंपरा अनवरत काल से चल रही है और भारतीय संस्कृति पुष्पित पल्लवित हो रही है। भारतीय समाज में एक दूसरे के सुख दुख में शामिल होने और संगठित होने का अद्भुत मूल मंत्र है लेकिन धार्मिक कुरीति और आधुनिकता के दौर में यह पीछे छूटते चले जा रहा है त्यौहार औपचारिक ना हो इनका महत्व बना रहे इसके लिए हमेशा हमें निस्वार्थ ढंग से एक दूसरे के लिए तत्पर रहना चाहिए ऐसा इन बच्चों और युवाओं का कथन रहा। रक्षाबंधन के पावन बेला पर शिवानी और रिया ने मास्टर आकाश सिंह की कलाई में राखी बांधकर आरती उतार मुंह मीठा करा कर उनके मंगलमय जीवन की कामना की वही मास्टर आकाश ने बहनों को उपहार देते हुए उनका हर परिस्थिति में साथ देने का वचन दिया, ऐसे ही पांडुका नवापारा अंचल के श्याम नगर सुरसा बांधा, कोपरा, रजन कटा, अतरमरा, कुटेना सहित अंचल के समस्त गांव में धूमधाम से राखी का त्यौहार मनाया गया हालांकि इस बार महंगाई के चरम सीमा पर होने के बावजूद भाई और बहन दोनों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई और देर शाम तक भाइयों की कलाई बहनों की राखी से सजती रही, दूसरी खास बात यह भी रही चंद महीने पूर्व करोना के कहर का डर कहीं नहीं दिख रहा इसके प्रति हमें सावधान रहना चाहिए।
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