प्रांतीय वॉच

परम्परागत व नई तकनीक के बेहतर सामंजस्य से खेती कर जीजस बने सफल किसान

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  • मनरेगा से मिली डबरी से दो फसली सिंचित रकबा 1.50 से बढ़कर हुआ 3.50 एकड़

आफ़ताब आलम/बलरामपुर : मैं बरसात के समय खरीफ फसल जैसे मक्का, धान, अरहर की खेती करता था तथा अन्य मौसमों में मेरी जमीन खाली पड़ी रहती थी। मनरेगा के तहत खेत में डबरी का निर्माण कर मैंने वर्षा जल का संचयन किया। जिससे अब डबरी में बारिश के मौसम के अलावा अन्य मौसमों में भी पानी की उपलब्धता है तथा खरीफ के साथ-साथ मैं रबी की फसल भी आसानी से ले पा रहा हूं। साथ ही डबरी की मेढ़ों पर फलदार वृक्ष, सब्जी और अरहर लगाया हूं। वहीं मैं और मेरी पत्नी ने डबरी निर्माण में 7 हफ्ते तक मजदूरी कर लगभग 9 हजार 300 रूपये भी कमाये थे। यह कहना है विकासखण्ड शंकरगढ़ के ग्राम सरगवां के रहने वाले जीजस तिग्गा का, जिनका परिवार पीढ़ियों से यहां निवासरत है। पांच सदस्यों वाले जीजस के परिवार की आजीविका का मुख्य साधन कृषि एवं पषुपालन है। अपनी इच्छा शक्ति व प्रशासन के सहयोग ने जीजस को सफल किसान बना दिया है। मनरेगा-बीआरएलएफ परियोजनांतर्गत् ग्राम विकास की कार्ययोजना निर्माण हेतु वृहद स्तर पर सरगुजा ग्रामीण विकास संस्थान दल द्वारा जागरुकता कार्यक्रम चलाया जा रहा था। जिसमें परिवार के विकास एवं आजीविका सुरक्षा व समृद्धि संबंधी कार्ययोजना बनाने के बारे में बताया गया। यहीं से जीजस ने अपने निजी भूमि पर डबरी निर्माण की मांग की तथा ग्रामसभा ने अनुमोदन भी कर दिया। डबरी निर्माण उपरांत संस्थान द्धारा उन्नत तकनीक से आलू, टमाटर, बैंगन, लौकी लहसून, मिर्चा एवं लता वाली सब्जियों के उत्पादन पर पंचायत स्तरीय प्रषिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जीजस ने सक्रियता से हिस्सा लेकर सब्जी की खेती के अलावा जैविक विधि से बीज उपचार, जीवामृत एवं हाण्डीदवा बनाने का गुर भी सीखा। साथ ही जीजस मनरेगा अंतर्गत निर्मित डबरी के मेंढ़ पर एवं आसपास के खेतों में सब्जी उगा रहे हैं। वर्षा के समय जीजस ने डबरी के मेंढ़ों का कटाव रोकने के उद्देष्य से मेंढ़ों पर अरहर एवं सब्जी की खेती करते हैं। परम्परागत व नई तकनीक के बेहतर सामंजस्य से खेती कर जीजस ने अपनी आय बढ़ाई है। वर्तमान में जीजस तिग्गा ने डबरी की मेंढ़ पर लगे पेहटा से लगभग 8 हजार रूपये तथा खड़े मचान में सब्जी की खेती सें लगभग 3 हजार रूपये की आमदनी की हैं। जीजस ने डबरी के आसपास लगभग 1.50 एकड़ खेत में देषी धान कलिंग बीज की फसल भी ली है तथा डबरी के आसपास पर्याप्त नमी भी मौजुद है। पहले जीजस के पास दो फसली एवं सिंचित भूमि मात्र 1.50 एकड़ थी जो डबरी निर्माण से बढ़कर 3.50 एकड़ हो गयी है। जिसमें अब सुव्यवस्थित खेती करने का अवसर बढ़ गया है जिससे भविष्य में आमदनी भी बढ़ेगी। जीजस सहर्ष स्वीकार करते हुए कहते हैं कि डबरी निर्माण हो जाने के बाद उनका सिंचित रकबा बढ़ा है जिससे भविष्य में अधिक फसल ले पायेंगे।जीजस ने अपने कृषि कार्य को विस्तार देने की योजना भी बनाई है तथा गेहूॅ की फसल के साथ-साथ इस वर्ष सरसों की फसल भी लेंगे। जमीन के प्रत्येक हिस्से का कैसे भरपूर इस्तेमाल किया जाये, इसके लिए जीजस निरंतर प्रयासरत् है एवं सहयोग के लिए जिला प्रशासन व संस्थान का सहृदय धन्यवाद भी दे रहे हैं।

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