बंगाल : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को झटका लगा है। ममता सरकार की अपील के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कोलकाता हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। बता दें, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी और इसके बाद भड़की हिंसा में चुनावों के दौरान भाजपा का साथ देने वाले कार्यकर्ताओं और आम लोगों को निशाना बनाया गया था। महिलाओं के साथ भी अभद्रता की गई थी। इस हिंसा के फोटो वीडियो खूब वायरल हुए थे। अब गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। कोर्ट ने एक एसआईटी भी गठित की है, जो अन्य मामलों की जांच करेगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी, हरीश टंडन, सौमेन सेन और सुब्रत तालुकदार की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव के बाद की हिंसा की घटनाओं की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का फैसला सुनाया। पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच कर रही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की टीम ने 15 जुलाई को कलकत्ता उच्च न्यायालय को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी। 50 पन्नों की रिपोर्ट ने राज्य की स्थिति को कानून के शासन के बजाय शासक के कानून की अभिव्यक्ति करार दिया। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2 जुलाई को भी इसी तरह की टिप्पणी की थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार चुनाव समाप्त होने के बाद मई में हुई हिंसा की घटनाओं को नकार रही है। यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि चुनाव के बाद हिंसा वास्तव में हुई थी। NHRC की रिपोर्ट के निष्कर्षों और सिफारिशों का विरोध करते हुए पश्चिम बंगाल DGP की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया था कि NHRC पैनल के कुछ सदस्यों के विपक्षी भारतीय जनता के साथ संबंध हैं, इसीलिए यह गलत और पक्षपातपूर्ण आरोप लगाए गए हैं।
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