- किसानों की शिकायत पर चुप्पी साधे बैठे हैं सिंचाई विभाग के अफसर
शुभम श्रीवास/रतनपुर : जल संसाधन उप संभाग बेलगहना द्वारा कराएं गए गुणवत्ता हीन कार्य की पोल बारिश ने खोल कर रख दी है। मरम्मत के बाद अभी नहर में पानी का बहाव हुआ ही नहीं है और ग्राम पोड़ी में तेलिया डोंगरी के पास नहर का बड़ा हिस्सा बारिश के पानी में बह गया। वहीं अधिकारी सूचना के बाद भी नहर का मरम्मत करना तो दूर झांकने नहीं पहुंचे हैं। नहर में बहने वाला पानी अपने साथ हरियाली और खुशहाली लेकर आती है। रतनपुर क्षेत्र की खेतों की सिंचाई के लिए चांपी जलाशय से नहर निकली है। इसके रखरखाव और प्रबंधन की जिम्मेदारी जल संसाधन संभाग पेण्डारोड अधीन जल संसाधन उपसंभाग बेलगहना की है। इनके रख-रखाव व बेहतर जल प्रबंधन के लिए छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग ने करोड़ों रूपए स्वीकृत किए है जिसके तहत मानसून से पहले नहर का लाइनिंग और मरम्मत का काम कराया गया है। वहीं जल संसाधन उप संभाग बेलगहना के गुणवत्तापूर्ण काम की पोल बारिश ने खोल कर रख दी है। ग्राम पोड़ी के आगे तेलिया डोंगरी के पास नहर का बड़ा हिस्सा फूट गया है। इससे नहर का पानी अब जंगल में जा रहा है। ग्रामीणों ने इसकी सूचना दो माह पहले ही दे दी है। इसके बाद भी न सिंचाई विभाग का कोई अमला मौके पर पहुंचा है और न ही अधिकारी मुख्य नहर को ठीक कराने कोई पहल कर रहे है। हालात ऐसे ही बने रहे तो रतनपुर व लालपुर इलाके के सैकड़ों किसानों को खरीफ और रबि की फसलों के लिए सिंचाई के पानी से वंचित होना पड़ेगा।
नहर का पूरा फायदा किसानों को नहीं मिल रहा
वर्षों से लंबित चांपी जलाशय का काम 2003 में पूरा हुआ। बांध बनी नहरें निकली नहरों से बिरगहनी, बासाझाल, चपोरा, खैरा, नवागांव, मोहदा, पोड़ी, तिलकडीह, जमुनाही, लालपुर रतनपुर सहित 15 से अधिक गांवों के से छह हजार एकड़ से अधिक खेतों तक पानी पहुंचने का भरोसा मिला। मगर नहर के निर्माण में अधिकारियों की लापरवाही से रतनपुर क्षेत्र के किसानों को चापी जलाशय से निकली नहर का पूरा फायदा नहीं मिला। इससे किसानों के दो सौ एकड़ खेतों को नहर से पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है।
करोड़ों खर्च पर नतीजे सिफर
प्रदेश शासन ने रतनपुर स्थित सौ एकड़ क्षेत्र में फैले दुलहरा जलाशय को भी नहर के माध्यम से चांपी जलाशय की पानी से भर कर सिंचाई का रकबा बढाने की योजना बनाई। इसके लिए करोड़ों रूपए खर्च कर नहर को दुलहरा जलाशय से लिंक कर नहर का लाइनिंग का काम कराया गया है। लाइनिंग के काम की खराब गुणवत्ता की वजह से इसमें भी कई जगह दरार नजर आती है। वहीं शाखा नहरों का काम भी जमीन अधिग्रहित करने के बाद भी पूरा नहीं किया गया है। इससे किसानों के खेतों तक सिंचाई के लिए पानी नहीं पहुंच पा रहा है।
बूंद बूंद पानी को तरस रहे किसान
कोरबा भावर के किसानों ने बताया 2003 में नहर का निर्माण हुआ था । आज 18 साल हो गए नहर बने। इस क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए बूंद-बूंद पानी को तरसना पड़ रहा है। पहले रमचंदा के जंगल व कका पहाड़ से आने वाली बारिश के पानी से किसानों केे खेतों की सिंचाई हो जाती थी। जंगल पहाड़ और खेतों के बीच नहर की दीवार आ गई । इससे पानी के बहाव की दिषा बदल गई। शाखा नहर से लगे अनेक किसानों के खेत को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।
शाखा नहर हो गए है ऊंचे
किसानों की कोई सुनने वाला नही है। नहर की तकनीकी खामियों के बारे में किसान कहते है कि मुख्य नहर से निकली शाखा नहरें उंची हो गर्इ्र है। रतनपुर एक नंबर शाखा नहर नवडीह के पास की शाखा नहर से मुख्य नहर नीची है। दो नंबर माइनर के पास की पुल तीन फीट उंची हो गई है। जोगी अमराई माइनर नीचे है। सिंचाई विभाग अफसरों की लापरवाही और तकनीकी खामियों का नुकसान किसानों उठाना पड़ रहा है। नहर जगह जगह से टूट फूट गया है। गंभीरता से अधिकारी नहरों का रख रखाव नही कर रहे है। नहरों का पानी खेतों तक नही पहुंच रहा है। सारा पानी लालपुर के पास नाला में बहकर चला जाता है।