रायपुर वॉच

ढाई-ढाई साल के CM पर बोले स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, समय निकल गया, नहीं सोचा बैटिंग करनी है या बॉलिंग

Share this

कवर्धा : प्रदेश के स्वास्थ्य, पंचायत और जिले के प्रभारी मंत्री टीएस सिंहदेव एक दिवसीय कवर्धा दौरे पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने स्थानीय सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात की। जिसमें उन्होंने अपने ही अंदाज में ढाई-ढाई साल के सीएम, छोटे जिलों के प्रभारी मंत्री बनाए जाने और मुख्यमंत्री द्वारा दी गई जिम्मेदारी का निर्वहन जैसे सवालों के जवाब दिए। छत्तीसगढ़ राजनीति में उस वक्त बवाल मचा जब चर्चाएं चली कि राज्य में भूपेश बघेल ढाई साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे। इसके बाद ढाई साल टीएस सिंहदेव बागडोर संभालेंगे। यह किस्सा अब तक जारी है। लेकिन इस पर मंत्री सिंहदेव ने स्पष्ट कह दिया है कि अब ढाई-ढाई साल सीएम वाला समय निकल चुका है।

प्रदेश के कद्दावर मंत्री सरगुजा राजपरिवार के सदस्य टीएस सिंहदेव कवर्धा प्रवास पर पहुंचे। कवर्धा पहुंचने पर स्वागत के लिए कार्यकर्ताओं की पूरी फ ौज उमड़ पड़ी। सर्किट हाउस में कार्यकर्ताओं के साथ भेंट मुलाकात किए। ढाई-ढाई साल वाले सीएम के सवाल पर फिर कहा कि ढाई साल तो बीत चुका है इसलिए ढाई साल की बात खत्म हो चुकी है। ये निर्णय हाईकमान के लेवल का है। क्या बदलने की जरूरत है या चलने देना है। ये हाईकमान लेवल पर तय होता है। दिल्ली जाने वाली बात पर कहा कि वे स्वास्थ्य जांच के लिए दिल्ली के लिए गए थे। इस बार सीएम नहीं तो अगली बारी में सीएम वाली बात या उम्मीद जैसी कोई बात नहीं है। जबावदारी देने वाले हमसे ऊपर होते हैं। मुख्यमंत्री ने जो जवाबदारी दी है उसे निभाने का काम करते हैं।

नहीं सोचा कि बैटिंग करनी है या बॉलिंग
प्रदेश सरकार में कद्दावर मंत्री की छवि वाले मंत्री टीएस बाबा को कवर्धा व बेमेतरा जैसे छोटे जिले की जिम्मेदारी दिए जाने के सवाल पर कहा कि कोई जिम्मेदारी छोटी या बड़ी नहीं होती है। मुझे जब भी जिम्मेदारी मिली है मैंने अच्छे से अच्छा करने का प्रयास किया है। इससे क्षमता भी विकसित होती है। ये कभी नहीं सोचा कि कहां बैटिंग करनी है कहां बॉलिंग करनी या कहां फि ल्डिंग करनी है।

कुछ तो पक रहा
मन में सीएम न बन पाने का मलाल जो जरूर होगा, लेकिन एक सुलझे हुए नेता कि यही खासियत होती है कि वो अपने भावनाओं को शब्दों में सार्वजनिक रूप से बयां नहीं करते हैं। टीएस सिंहदेव का जितना बड़ा कद है उससे बड़ी उनकी शख्सियत है। वो भले ही खुलकर ना बोलें, लेकिन बार-बार दिल्ली दौरे से लगता है कि भीतर खाने कुछ तो जरूर पक रहा है।

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *