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सड़क पर इंजन, शंटर सस्पेंड, बिलासपुर में बिना ड्राइवर 1.5 किमी सड़क पर दौड़ा था इंजन, रेलवे ने 4 सदस्यीय जांच टीम बनाई

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बिलासपुर : बिलासपुर में सोमवार को बिना ड्राइवर के 1.5 किमी सड़क पर दौड़े इंजन मामले में रेलवे ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पहली गाज शंटर पर गिरी है। उसे सस्पेंड कर दिया गया है। शंटर ही लोको शेड में इंजन स्टार्ट कर सफाई कर्मचारी को उसके अंदर छोड़ गया था। वहीं चार सदस्यीय एक जांच टीम का भी गठन किया गया है। बताया जा रहा है कि इस लापरवाही के चलते रेलवे को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। अब इसकी भरपाई सफाई ठेकेदार से करने की तैयारी है।

इस वजह से हुआ हादसा

दैनिक भास्कर ने इस पूरे मामले को लेकर रिटायर्ड लोको पायलट ए.के सिंह से बात की, उन्होंने बताया कि –

लोको शेड में ट्रेन के इंजन को लाते ही उसे बंद किया जाना रहता है जो कि यहां पर नहीं हुआ था।
इंजन लोको शेड में पहुंचते ही उस के पहिए के नीचे गुटका लगाना रहता है, इस मामले में यह भी नहीं किया गया।
किसी भी हालत में लोको पायलट या फिर शंटर के अलावा इंजन में किसी को भी चढ़ने की इजाजत नहीं होती है। लेकिन इस इंजन में सफाई कर्मचारी को भी चढ़ने की इजाजत दे दी गई। लोको शेड के अंदर मौजूद प्रबंधन की ये एक बड़ी लापरवाही है। रेलवे की ओर से जारी नियम का सख्ती के साथ अगर पालन किया जाए तो ऐसे हादसों से बचा जा सकता है।
(जैसे ही ट्रेन का इंजन लोको शेड में एंटर करती है उस समय इंजन के मूवमेंट शंटर ही करता है। यह लोको पायलट की तरह ही होते है लेकिन केवल लोको शेड के अंदर ही काम करते है)

सफाई कर्मचारी के ट्रेन में छेड़छाड़ की आशंका

इंजन को दोबारा चालू हालत में लाने के लिए करीब 20 लाख रुपए खर्च होंगे। वहीं इंजन से टकराकर टूट गए बिजली के खंभों, लोको शेड के दरवाजे और दूसरे छोटे-मोटे नुकसान को जोड़ा जाए तो करीबन 30 लाख से ऊपर का खर्चा रेलवे को उठाना पड़ेगा। ढुलाई नहीं होने के चलते करोड़ों के नुकसान का अनुमान भी रेलवे ने इस हादसे से लगाया है। आशंका जताई जा रही है कि सफाई के दौरान ट्रेन के इंजन से छेड़छाड़ की गई। इसके चलते ही हादसा हुआ है।

रात भर चलता रहा इंजन को पटरी पर लाने का काम

सड़क पर इंजन आने के बाद रात 8 बजे से वापस पटरी पर लाने की मशक्कत रेलवे की ओर से शुरू हुई। इस काम को करने के लिए 200 कर्मचारियों की टीम रात भर जुटी रही। इस दौरान मौके पर रेलवे के 50 अफसर भी मौजूद रहे। चार हाइड्रॉलिक जैक लगाकर प्रेशर से इंजन को ऊपर उठाया गया। तमाम जद्दोजहद के बाद आखिरकार सुबह 4 बजे नई पटरी पर इंजन को रखा गया है।

10 साल बाद भी अंडर ब्रिज का निर्माण अधूरा

जिस वक्त यह रेल हादसा हुआ उस समय सिरगिट्टी बाइपास लाइन चालू थी। जिसकी वजह से तेज रफ्तार से आ रही इंजन को देखकर लोग इधर-उधर भाग गए। साल 2011 में ऐसे ही हादसे में कई लोगों की जान चली गई थी। दो अंडर ब्रिज के निर्माण की स्वीकृति दी गई, लेकिन 15 करोड़ खर्च कर 10 साल बाद भी अब तक केवल एक ही बन सका है और वह भी अधूरा है। ऐसे में अगर आने वाले भविष्य में ऐसा हादसा दोबारा होता है तो बड़ी संख्या में लोगों की जान जा सकती है।

4 सदस्यों की जांच टीम का किया गया गठन

रेलवे CPRO साकेत रंजन ने बताया कि इस पूरी घटना की जांच के लिए AD EE TRD, ADEN सेंट्रल, ADSO, ADME और ओएंडएफ को शामिल किया गया है। जांच दल मामले में जल्द रिपोर्ट पेश कर देगी, जिसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। आगे उन्होंने बताया कि जांच कमेटी आगे ऐसे हादसे ना हो इसके लिए अपने सुझाव भी रिपोर्ट में पेश करेगी।

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