“जल ही जीवन है” इस महत्वपूर्ण कहावत को हमने कई बार सुना होगा। आज रहीम जी की वो पंक्तियां याद आती है जिसमें उन्होंने जल संरक्षण की गंभीरता को रेखांकित किया था जब उन्होंने कहा था “रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गये ना उबरे, मोती, मानुष, चून।” आज इन कहावतों को यथार्थ की धरातल पर क्रियान्वित करने का समय आ गया है। भिलाई में धीरे-धीरे पेयजल की समस्या गंभीर रूप लेते जा रही है। आज हर नागरिक को जल बचाने और अपना कल बचाने के लिये कमर कस लेनी है।
कम वर्षा से पेयजल की उपलब्धता हुई कम
यह सर्वविदित है कि सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने भिलाई टाउनशिप से लेकर संयंत्र के भीतर उपयोग होने वाले पेयजल की निरन्तर आपूर्ति की है। जनहित को देखते हुए भिलाई इस्पात संयंत्र ने पेयजल की आपूर्ति को सदा ही पहली प्राथमिकता में रखा है। कठिनतम दौर में भी संयंत्र ने भिलाई के नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया है। परन्तु इस वर्ष अब तक हुए कम वर्षा के कारण पेयजल की उपलब्धता पर सीधा असर पड़ता दिखाई दे रहा है।
जरूरत से कहीं कम है जलापूर्ति
विदित हो कि भिलाई टाउनशिप और संयंत्र की पेयजल की आवश्यकता लगभग 1,50,000 क्यूबिक मीटर है। जिसमें से 40,000 से लेकर 45,000 क्यूबिक मीटर पेयजल की आवश्यकता संयंत्र के भीतर है तथा लगभग 1,10,000 से लेकर 1,05,000 क्यूबिक मीटर पेयजल की आवश्यकता भिलाई टाउनशिप को पड़ती है जबकि भिलाई इस्पात संयंत्र को मरोदा-2 जलाषय से 3,40,000 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन जल की सप्लाई चाहिए। अब तक भिलाई इस्पात संयंत्र के पास सिर्फ 17 दिन के पानी का स्टाक शेष है। इस प्रकार पानी की उपलब्धता दिनों-दिन कम होते जा रही है।
पानी की कहानी आंकड़ों की जुबानी
आज छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग द्वारा प्रतिदिन 117 क्यूसेक अर्थात 2,86,000 क्यूबिक मीटर की जल आपूर्ति की जा रही है l