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तिरछी नजर 👀: फर्जी डिग्री पर भगदड़

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कोरोना काल में सबसे ज्यादा नुकसान शिक्षा व्यवसाय का हुआ है, लेकिन कुछ लोगों ने आपदा को अवसर में बदलकर करोड़ों का वारा-न्यारा कर दिया। फर्जी तरीके से डिग्री बांटने वाले कुछ संस्थान व विश्वविद्यालय ने बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से पूर्व तिथि पर बेरोजगारों को विशेषज्ञ बनाकर डिग्री बांट दी है। गरियाबंद जिले के एक चर्चित निजी विश्वविद्यालय ने तो बड़ा खेल कर दिया। कांग्रेस विधायक के नाम पर फर्जी डिग्री बनाने का हल्ला होने पर सरकार ने जांच समिति बना दी है। समिति के मुखिया आईएएस अफसर जांच करने गए तो भगदड़ मच गई। कर्मचारी भाग खड़े हुए। कई लोगों ने नौकरी छोड़ दी। राजधानी रायपुर के एक निजी विश्वविद्यालय के खिलाफ लंबी-चौड़ी शिकायत मिलने पर जांच शुरू कर दी गई है। कांग्रेस नेता के इस विश्वविद्यालय के खिलाफ जांच रुकवाने कुछ आईएएस लगे हैं।

जमीन के लिए कुत्ते की आवभगत

दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के लाभांडी स्थित फार्म हाउस पर बिल्डरों की नजर है। विद्याचरण ने अपने जीते-जी फार्म हाउस की कुछ जमीनें बेच दी थी। जिस पर मॉल, होटल और कॉलोनी तन चुकी है। अभी भी करीब 25 एकड़ जमीन बाकी है। प्राइम लोकेशन की इन बेशकीमती जमीनों के लिए बिल्डर, परिजनों के आगे-पीछे हो रहे हैं। दिक्कत यह है कि परिजनों को जमीन बेचने में रूचि नहीं है। वीसी की तीन बेटियों में से एक प्रतिभा पांडेय का निधन हो चुका है। राजनीति से परे प्रतिभा ने पर्यावरण के क्षेत्र में काफी नाम कमाया। दूसरी बेटी पदमजा मुंबई में रहती है, और उनके पति राजीव दुबे महेंद्रा ग्रुप के शीर्ष अफसर हैं। छोटी बेटी अमेरिका में डॉक्टर हैं। बताते हैं कि वीसी की यहां की प्रॉपर्टी की देख-रेख के लिए स्टाफ नियुक्त हैं, और उनकी नातिन यानि स्व. प्रतिभा की बिटिया माधवी दो-तीन माह में एक बार यहां आती है। माधवी की भी पर्यावरण में रूचि है, और जब अपने नानाजी के करीबी बिल्डर ने उनसे जमीन को लेकर प्लान पूछा, तो कह दिया कि यहां वृक्ष लगाकर पूरे इलाके को जंगल बना दिया जाना चाहिए। इससे आसपास का पर्यावरण शुद्ध रहेगा। बिल्डर को इस जवाब की उम्मीद नहीं थी। और जंगल बनाने के विचार मात्र से उन्हें गहरा झटका लगा। क्योंकि जमीन करोड़ों की है। जमीन 8 सौ रुपये वर्गफीट में खरीद कर 5 हजार रुपये वर्गफीट की दर से प्लाटिंग कर करोड़ों कमा चुके हैं। बिल्डर परिवार के अन्य सदस्यों को मनाने की कोशिश में है। फार्म हाउस के भीतर राधेश्याम भवन ही कई एकड़ में फैला है। भवन में एक कुत्ता भी है। बिल्डर नियमित रूप से कुत्ते का देखभाल की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। ताकि पर्यावरण और वन्य प्रेमी नातिन जमीन बेचने के लिए तैयार हो जाए। फिलहाल तो अभी ऐसा कुछ दिख नहीं रहा है।

बड़बोले मिश्रा के कारण भाजपाइयों की चिंता

पूर्व आईएएस गणेश शंकर मिश्रा, भाजपा में शामिल हुए, तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। वे पिछले कई महीने से कोशिश में लगे भी थे। लेकिन उनके आने से भाजपा के कुछ लोग परेशान भी है, क्योंकि बड़बोलेपन की वजह से मिश्रा कई बार विवादों में भी रहे हैं। बताते है कि जल संसाधान सचिव थे, तो महानदी जल विवाद पर प्रेजेंटेशन देने से उन्हें मना कर दिया गया था। उस समय उनकी जगह सीएस ने प्रेजेंटेशन दिया। इस प्रेजेंटेशन में तत्कालीन सीएम रमन सिंह के साथ ही ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, केंद्रीय मंत्री उमा भारती और केंद्र सरकार के अफसर भी थे। वैसे तो प्रेजेंटेशन विभागीय सचिव ही देते हैं। लेकिन मिश्रा जी के चलते कोई नई समस्या न आ जाए, इसलिए तत्कालीन सीएस ने प्रेजेंटेशन दिया। मगर मिश्रा जी चुप कहा रहने वाले थे। रायपुर के कई अखबारों में तो उन्हीं की तारीफ छपी थी। ये अलग बात है कि विवाद आज तक नहीं सुलझ पाया है।

बंगला बने न्यारा…

वित्तीय संकट से घिरी सरकार में मितव्यता और सादगी मंत्रियों के बंगले में तो नहीं दिख रही है। खाद्य मंत्री अमरजीत सिंह के बंगले में 30 अधिकारी-कर्मचारियों का स्टाफ अकेले रायपुर में तैनात है। इन कर्मचारियों को नागरिक आपूर्ति निगम, वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन संस्कृति विभाग से वेतन मिल रहे हैं। इतना तो मुख्यमंत्री के बंगले में भी नहीं होंगे। भगत का विधायक कालोनी स्थित सरगुजा भवन भी कई कारणों से चर्चा में है। सिविल लाईन रायपुर में मंत्री को बंगला आवंटित हुआ था जिसकी साज-सज्जा में करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं।

हंसी ठहाकों में फीडबैक

जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों के साथ भूपेश बघेल के संवाद कार्यक्रम के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं इस कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोई प्रमुख पदाधिकारी नहीं बुलाए जाते लेकिन गिरीश देवांगन रहते हैं। मुख्यमंत्री के सामने कुछ जिलों के पदाधिकारियों ने नौकरशाही की शिकायत की है और समय रहते निदान का सुझाव दिया है। छत्तीसगढ़िया अंदाज में सीएम हाऊस में इस कार्यक्रम में खेती-किसानी, रोपा, ब्यासी और समर्थन मूल्य पर गहराई से चर्चा हो रही है। हंसी ठहाकों के बीच जिले का राजनीतिक तापमान मापा जा रहा है।

साइकिल वाला अफसर

बेमेतरा जिलाधीश के साथ अधिकारियों की युवा टीम अलसुबह घर से साइकिल पर घूमने निकल जाते हैं। 30 से 40 किलो मीटर तक की यात्रा में प्रशासन की वास्तविकता से रूबरू भी होते हैं और काम में भी फिट। इसमें से एक पुलिस अधिकारी एसडीओपी राजीव शर्मा को तो पुरस्कार भी मिल गया।

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