चन्द्र शेखर शर्मा
(पत्रकार ) 9425522015
जय बीरु की जोड़ी , बृहस्पति के बोल , बापू के तिवाड़ी ,
छत्तीसगढ़ की राजनीति को लगी अढ़ईया की बीमारी ।
एमपी में सिंधिया की भाजपा में लेंडिंग पश्चात केंद्र में मंत्री बनने के बाद से राजस्थान में पायलट उड़ान भरने की तैयारी में है तो छत्तीसगढ़ में सीएम इन वेटिंग पर लग रहे आरोप , उनकी छवि पर दाग लगाने की कवायद और उनका नाराज हो सदन को छोड़ कर जाना कांग्रेस के लिए कोई अच्छे संकेत नही है , किंतु ढाई ढाई साल के शिगूफे की बीच बृहस्पति सिंह व सिंहदेव के बीच तनाव के माहौल में बापू द्वारा जय वीरू की जोड़ी पर तिवाड़ी की नजर लागी का आरोप चर्चा में है ।
सहज सरल सौम्य सिंहदेव पर बृहस्पति के बोल बच्चन के बाद कांग्रेसी राजनीति में आया भूचाल भले ही शांत होता दिख रहा हो किंतु बाबा की चुप्पी उनकी राजनीतिक साख की राख में दबी चिंगारी की ओर इशारा कर रही है । चिंगारी कब दावानल बन जाय कहा नही जा सकता । राजस्थान व मध्यप्रदेश के हालात से घबराये दिल्ली दरबार की चिंता और बृहस्पति को संगठन से मिले नोटिस से बैक फुट में आई कांग्रेस भले ही डैमेज कंट्रोल होने के दावे कर ले किंतु छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी राजनीति को लगा अढ़ईया रोग पर बृहस्पति के जरिये इलाज की कवायद कही कांग्रेस के लिए नासूर न बन जाय । सदन से बाबा का उठ कर जाना और विपक्ष के दबाव के चलते सत्ता और संगठन ने बाबा पर लगे आरोप को निराधार बता मामले का पटाक्षेप करने का प्रयास जरूर किया गया है । कांग्रेसी भले ही ढाई ढाई साल वाले फार्मूले को केवल शिगूफा बताते फिरते हो किंतु प्रदेश के राजनैतिक हालात और सौम्य सहज सरल सिंह देव पर आरोप कांग्रेस के अंदर खाने में चल रही खींचतान की राजनीति को पुष्ट कर रहा है ।
राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चा में कांग्रेस के अंदर खाने में अलग ही खिचड़ी पकने की चर्चा सरगर्म है । बाबा नो कमेंस में , कका सहदेव के बसपन के प्यार में मस्त है तो कका के बाबू के गोठ बिन बाह्मन के पूरा नई होवय आखिर जय बीरू के बीच तिवाड़ी के एंगल के इंट्री हो ही गए ।
इन सब से बेफिक्र छत्तीसगरिहा कका का सहदेव के गाये गाने –
” सोनू मेरी डार्लिंग
जानू मेरी जाने मन
बसपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाने रे
सचा मेरा प्यार है
जान मेरी जाने मन
बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाने ओ
तेरी कसम तेरे बगैर जी नहीं पाऊँगा
दोखा दिया तो मैं जहर पी जाऊंगा
मेरी सोनू डार्लिंग
जानू मेरी जाने मन ।”
के बहाने मस्त रहना व उनकी बेफिक्री वाला अंदाज़ के कई राजनैतिक मायने गढ़े जा रहे है । भाजपा के 15 साल के राज में प्रदेश कांग्रेस में कई अध्यक्ष आये और चले गए किंतु डॉ रमन के खिलाफ दमदारी से कांग्रेस का झंडा नही उठा पाए । ऐसे में भूपेश ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की रगो में जोश भर आक्रमक शैली में इंट्री ले भाजपा व डॉ रमन के नाक में दम कर दिया था नतीजन आज कांग्रेस सत्ता में और कांग्रेसी सत्ता सुख भोग रहे है । भूपेश से खुश दिल्ली दरबार को देख नही लगता कि यंहा ढाई ढाई साल का कोई एंगल बनेगा किंतु कांग्रेस की राजनीति में कब क्या हो जाय कहा नही जा सकता ।
और अंत मे :-
मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना,
अच्छा नही, इतना बड़ा हो जाना।
बारी-बारी लूट रहे है लगा-लगा कर अपना फेरा,
सामूहिक चुप्पी के नीचे पलता है बेशर्म अँधेरा।।
#जय_हो 31 जुलाई 2021 कवर्धा (छत्तीसगढ़)