रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने रविवार को महिलाओं से संबंधित मामलों में कार्रवाई करते हुए सख्ती दिखाई है। आयोग ने इस दौरान एक शख्स द्वारा अपनी पत्नी और बेटी को अपना मानने से इंकार करने के मामले में उस शख्स और बेटी का DNA टेस्ट कराने के निर्देश दिए हैं। इस प्रकार एक और मामले में आयोग के सामने कोर्ट का झूठा आदेश दिखाने पर एक और व्यक्ति पर मामला दर्ज करवाने के आदेश उसकी पत्नी को दिए गए हैं। इन सब के अलावा भी आयोग ने कई और प्रकरणों में सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है।
कोर्ट में चल रहा मामला
इन सब में पहला मामला कोरबा जिला से जुड़ा है। यहां कि एक महिला ने आयोग को बताया था कि उसका और उसके पति का मामला इन दिनों कोर्ट में चल रहा है। दोनों के बीच बनती नहीं थी। इसलिए तलाख का मामला कोर्ट में चल रहा है। इस दौरान कोर्ट ने उसके पति को आदेश दिए हैं कि वो अपने बीवी को हर महीने भरण पोषण के लिए 6500 रुपए देगा। लेकिन वो अपने पत्नी को ये राशि दे ही नहीं रहा था।
दस्तावेज में स्टे का जिक्र नहीं
जिसके चलते ही महिला ने इस मामले की शिकायत आयोग से की थी। उसके पति ने ये कहकर भरण भोषण देने से पत्नी को इंकार दिया था कि कोर्ट ने भरण पोषण देने के लिए स्टे लगा रखा है। जिसके बाद उसका पति भी आयोग के सामने पहुंचा था। इस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने ये पाया कि कोर्ट की तरफ से इस तरह को कोई आदेश नहीं दिया गया है। वहीं महिला के पति ने जो दस्तावेज आयोग को दिखाए हैं उसमें भी स्टे का कोई जिक्र नहीं है। जिस पर आयोग की अध्यक्ष डॉ.किरणमयी नायक ने महिला को उसके पति के खिलाफ FIR दर्ज करवाने के लिए कहा है। ये मामला आयोग के सामने झूठा बयान देने और कोर्ट के झूठा आदेश दिखाने से जुड़ा हुआ है।
1980 में हुई शादी, अब अपना मानने से इंकार कर रहा
वहीं एक और मामले में एक शख्स ने अपनी पत्नी और बेटी को ही पहचानने से इंकार कर रहा था। जिस पर महिला ने आयोग को बताया था कि उसकी शादी 1980 में हुई थी। उसकी एक बेटी भी है और वो 5 साल तक अपने ससुराल में भी रही है। इस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने महिला के पति और उसके बेटी का डीएनए टेस्ट कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा सिविल लाइन थाना रायपुर के पुलिस अधिकारियों को इस पूरे मामले में रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। महिलाओं से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आयोग के अन्य सदस्यों के साथ की।