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वन्यप्राणी कॉरीडोर संरक्षण एवं संवर्धन हेतु प्रशिक्षण सह कार्यशाला का शुभारंभ

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प्रकाश नाग/केशकाल : छत्तीसगढ़ राज्य वन्य प्राणियों के गलियारों (कॉरीडोर) की पहचान कर उनके संरक्षण, संवर्धन एवं प्रबंधन के लिए कार्ययोजना राज्य कैम्पा के माध्यम से तैयार करना प्रस्तावित है। यहाँ प्रोजेक्ट छत्तीसगढ़ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगा क्योंकि अब तक “वन्यप्राणी कॉरीडोर संरक्षण एवं संवर्धन” हेतु चरणबद्ध ढंग से योजना निर्माण के लिए वन मण्डल केशकाल के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए वनमण्डल कार्यालय में सोमवार को “प्रशिक्षण सह कार्यशाला” की शुरूआत की गई। कांकेर वृत्त अंतर्गत केशकाल वनमण्डल में इस प्रकार का पहली बार प्रशिक्षण दिया गया इस प्रशिक्षण में केशकाल वनमंडल के समस्त एसडीओ , वन परिक्षेत्र अधिकारी-कर्मचारी सामिल रहे। मुंबई से वाइल्डलाइफ एंड वी प्रोटेक्शन फाउंडेशन के फील्ड एक्सपर्ट इस्तियाक पटेल ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य वन्यप्राणी कॉरीडोर का संरक्षण एवं विकास के लिए प्राथमिक सर्वेक्षण कर तद्नुसार योजना निर्माण करना है। प्रशिक्षण के दौरान वन्यकर्मियों को बताया गया कि दिनों-दिन वनों के हनन होने के कारण वन्य जीवों को काफी नुकसान हो रहा है, जिसके कारण आज कई प्रजाति के जानवर विलुप्त होने के कगार पर हैं। इनकी सुरक्षा व संवर्धन के उद्देश्य से हमारे द्वारा यह प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया था।

जानकारी देते हुए वाइल्डलाइफ एंड वी प्रोटेक्शन फाउंडेशन (मुंबई) के फील्ड एक्सपर्ट इस्तियाक पटेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में वन्य प्राणियों के गलियारों (कॉरीडोर) की पहचान कर उनके संरक्षण, संवर्धन एवं प्रबंधन की पहल कैम्पा द्वारा की गई है। यह समूचे भारतवर्ष में पहला ऐसा प्रोजेक्ट है जिसके तहत सभी प्रदेश के सभी वनमण्डल अंतर्गत आने वाले सभी वन्य क्षेत्रों को वन्य जीव गलियारों के माध्यम से जोड़ा गया है। इस कार्यशाला के माध्यम से सभी वन कर्मचारियों को यह प्रशिक्षण दिया गया है कि इस प्रोजेक्ट के तहत वन्य क्षेत्र के गलियारों में रहने वाले जीवों के लिए आवश्यक खाना, पानी और आवास को सुधारना व विकसित करना है। इतने वर्षों से हम वन प्रबंधन का कार्य कर रहे हैं लेकिन अब गलियारों में बही मुख्य रूप से वन्य जीव प्रबंधन को अधिक महत्व दिया जाएगा।

एसडीओ महेंद्र यदु ने बताया कि केशकाल वनमण्डल कार्यलय में आज जो प्रशिक्षण हुआ यह हमारे सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रशिक्षण था। क्योंकि हमारे वन्य क्षेत्रों में जिस प्रकार से जैविक दबाव कम होता जा रहा है, इसके संरक्षण व विकास नजरिये से यह प्रशिक्षण बहुत ही आवश्यक था। इसके लिए मुंबई से केशकाल आकर हमे जानकारी देने के लिए मैं वाइल्डलाइफ एंड वी प्रोटेक्शन फाउंडेशन (मुंबई) के फील्ड एक्सपर्ट इस्तियाक पटेल जी का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं।

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