रायपुर : राज्य की कई सहकारी समितियों में यूरिया और डीएपी जैसी रसायनिक खाद तभी दी जा रही है जब किसान गोबर-वर्मी खाद की दो बोरियां भी ले। सोसाइटियों से कर्ज लेने वाले किसानों पर एक तरह से इसे थोपा जा रहा है। अपैक्स बैंक के अध्यक्ष का कहना है कि हमने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है संभव है जैविक खेती को प्रोत्साहित करने सोसाइटी अपने स्तर पर ऐसा कुछ कर रही हो। अप्रैल से शुरू किए गए खाद वितरण में किसानों को रसायनिक खाद के साथ वर्मी कंपोस्ट भी विक्रय के लिए रखा गया है। किसानों को प्रति एकड़ 60 किलों उपलब्ध कराया जा रहा है। कांकेर, दुर्ग, रायपुर समेत कई जिलों में किसानों की यह आम शिकायत है कि उनको रसायनिक खाद के साथ वर्मी कंम्पोस्ट थमाया जा रहा है। इसके बगैर रसायनिक खाद की पर्ची नहीं दी जा रही। किसान नेता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि दुर्ग जिले में किसानों को वर्मी कंपोस्ट लेने पर ही रसायनिक खाद दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों को इसके उपयोग के बारे में कृषि विभाग को जानकारी उपलब्ब्ध कराना चाहिए।
ऐसा है गणित
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किसानों के द्वारा अल्पकालीक ऋण लिया जा रहा है। उसमें खाद के लिए 6 हजार रुपए का प्रावधान है। किसानों को इसके तहत 2500 रुपए का जैविक खाद और शेष राशि से रसायनिक खाद खरीदने का प्रावधान रखा गया है। कृषि विभाग की तकनीकी समिति के द्वारा जो नार्म्स तैयार किया गया है उसी के तहत वर्मी और सुपर वर्मी कंपोस्ट की बिक्री किसानों को की जा रही है। इसके तहत कई समितियों में किसानों को कंपोस्ट अनिवार्य रुप से दिया जा रहा है।
नहीं दिए हैं निर्देश
ऐसा निर्देश नहीं दिया गया है। समितियों के द्वारा अपने स्तर पर इसे बढ़ावा देने किसानों को दिया जा रहा होगा इस संबंध में जानकारी लेकर कुछ कह पाउंगा।