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कारगिल युध्द में शामिल रिटायर्ड फौजी का निधन, बाप को कंधा देने नहीं पहुंचा सका फौजी बेटा

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  • फिर बेटियों और बहु ने कंधा देकर दी मुखाग्नि

धमतरी : कारगिल युध्द में शामिल रहे छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड फौजी रुद्रेश्वर कुमार साहू(मुन्ना भाई) का निधन हो गया। लेकिन मुन्ना भाई के अंतिम सफर की जो तस्वीर सामने आई है। वह यह बताती है कि यदि घर में बेटा न हो तो, बेटियां कभी भी अपना फर्ज निभाने से पीछे नहीं हटतीं। यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ, जब मुन्ना भाई के निधन के बाद उनका फौजी बेटा घर ही नहीं पहुंचा सका। जिसके कारण उनकी बेटियों और बहु ने उनको कंधा दिया। इतना ही नहीं बहु और बेटियों ने मिलकर उन्हें मुखाग्नि भी दी। यह सब देखकर लोग फूट-फूटकर रोने लगे।

मुन्ना भाई के अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या मं लोग शामिल हुए, वहीं उनकी बेटियों और बहु ने मिलकर उनके पार्थिव शरीर को कंधा दिया।
मुन्ना भाई के अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या मं लोग शामिल हुए, वहीं उनकी बेटियों और बहु ने मिलकर उनके पार्थिव शरीर को कंधा दिया।
धमतरी जिले के नगरी ब्लॉक के ग्राम घठुला निवासी रिटायर्ड फौजी रुद्रेश्वर साहू( मुन्ना भाई ) का दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार को निधन हो गया। पर उनका फौजी बेटा थानेश्वर साहू बाप को कंधा देने नहीं पहुंच पाया, कारण थानेश्वर अंबाला में पदस्थ है। जिसके चलते बेटी रेखा साहू, डाली साहू और बहू खुशबू का फर्ज निभा दिया। मुन्ना भाई की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में गांव के लोग शामिल हुए और नम आंखों से उन्हें विदाई दी।

रुद्रेश्वर साहू (मुन्ना भाई) का चयन 2 फरवरी 1991 में इंडियन आर्मी में हुआ था। इसके बाद वो 2017 में रिटायर हो गए थे। मुन्ना भाई जम्मू कश्मीर ,मेरठ देशभर के अलग-अलग इलाकों में सेवा दे चुके थे। इसके अलावा वो 1999 में उन्होंने कारगिल युद्ध में भी शामिल थे और अपने साहस के दम पर पाकिस्तान के सैनिकों को करगिल से खदेड़ा था।

गांव वाले बताते हैं कि रुद्रेश्वर साहू को देखकर हमें बड़ा मान हुआ करता था। हम लोग ही उन्हें मुन्ना भाई बुलाया करते थे। पर अफसोस जब कल उनका निधन हुआ तो अपना बेटा उसके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका।वह भी हजारों किलोमीटर दूर आर्मी में पदस्थ होकर देश की सुरक्षा में तैनात है। इसी वजह से अचानक उनके निधन के कारण वह नहीं आ सका। ग्रामीण यह भी बताते हैं की मुन्ना भाई रिटायर होने के बाद से ही गांव के युवाओं को आर्मी में जाने में प्रोत्साहित भी किया करते थे।

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