यामिनि चंद्राकर/छुरा : जनजातिय बाहुल्य विकास खंड छुरा के अंतर्गत कई ग्राम के भोले – भाले किसान गैर जनजाति लोगो से मित – मीतान का संबंध जोड़कर व बालात शादी कर पत्नी के नाम से जमीन खरीद कर,व विभिन्न योजनाओं का लाभ लेकर आज रसुकदार (बडे़) बने घुम रहे हैं। केन्द्र व राज्य के संयुक्त प्रयास से भोले -भाले आदिवासियों के हित में झारखंड राज्य मे कानून लागू करने की नीति से क्षेत्र के बडे़ लोगो पर भयंकर गाज गिरने की डर से जमीन को बेचना मुनासिब समझ कर ग्राहक की तालाश में हैं । वही कुछ लोग तो जमीन हाथ से खिसक ना जाय इसके लिऐ कानूनी सलाह के लिए वकीलों के चक्कर काट रहे हैं। सच बात तो यह है कि आदिवासी भोले भाले लोगों को अपनी चुंगी-चुपड़ी बातों में फंसाकर, व अपने करीबी आदिवासी के नाम जमीन लेकर करोड़पति बनने का सपना अब सपना ही बन कर रह जायेगा।
पूर्व मे प्रकाशित समाचार से हड़कम में आये बड़े-बडे़ अधिकारी, कर्मचारी,व्यापारी व नेता गण गलत तरीका अपना कर जमीन खरीदी कर अब असली मालिक के मान मनौवल में लग गये हैं। इस संबंध में आदिवासी समाज के नेता, सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश प्रतिनिधि व वर्तमान जनपद सदस्य नीलकंठ सिंह ठाकुर को पुछे जाने पर कहा कि मूलनिवासियों का हक पर हम लोगो का मूल अधिकार। प्रकृति के पूजक के साथ अन्याय को प्रकृति ही ठीक कर बैलेंस कर देती है।देश में संविधान सर्वोच्च है। हम सभी आदिवासी संविधान के साथ है कहा।
उन्होने यह भी कहा कि अब कोई भी गैर जनजाति समाज के लोग अपने आदिवासी पत्नी व अन्य के नाम से जमीन खरीदी के वक्त रजिस्ट्री करण के समय अपने वर्तमान पता के नाम अथवा वर्तमान पति का नाम उल्लेख करना होगा ना कि आदिवासी महिला अपने पिता का नाम दर्ज करवाईयेगा। पूर्व मे हुई सभी खरीदी बिक्री रजिस्ट्रीकृत की जांच, छान बीन कर निरस्त करने का विचार केन्द्र व राज्य शासन कर रही है। झारखंड आदिवासी बाहुल्य राज्य में पूर्णत:कठोरता से कानून लागू हो गया है।अब सभी राज्यों में शीघ्र लागू करने की मंशा है। छ ग के जनजाति समाज के लोग तत्काल लागू करने की माँग कर चुकी हैं।