रायपुर : प्रदेश में एक ओर ईंधन कीमतों के मामले में आग उगल रहा है, वहीं बायोडीजल के नाम पर भी आम जनता से लूटपाट मची हुई है। आलम कुछ ऐसा है कि प्रदेश में खुलने वाले ज्यादातर बायोडीजल पंप बिना किसी लेबोरेटरी जांच के ही संचालित किए जा रहे हैं।
पेट्रोलियम ईंधन से 5 से 10 रुपए सस्ती कीमतों के बहाने बायोफ्यूल में मिलावट का अंदेशा बढ़ गया है। हाल में सीबीडीए (छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल डेवलपमेंट अथाॅरिटी) की ओर से जिला कलेक्टरों को पत्र लिखना पड़ा है। सीबीडीए ने जिला प्रशासन से मांग की है कि संचालित किए जा रहे बायोफ्यूल के लिक्विड ऑयल की बिक्री से पहले लैब में जांच कराई जाए। प्रदेश ही नहीं, देशभर में बायोफ्यूल के नाम पर इंडस्ट्रियल ऑयल मिलावट के साथ में बेचा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में बायोडीजल प्रोेडक्शन प्लांट कहीं नहीं है, ऐसे में दूसरे प्रदेशों से लाए गए लिक्विड मटेरियल को बायोडीजल बताकर बेचा जा रहा है। प्रदेश की राजधानी में दो जगहों पर बायोडीजल का विक्रय किया जा रहा है। यहां भी लिक्विड ऑयल बाहरी कंपनियां सप्लाई कर रही हैं। सीबीडीए के पास जो फार्मूला है, उस तकनीक में बायोजल टेस्टिंग के बाद उसके दाम और कम होने चाहिए। सीबीडीए के मुताबिक जितने दाम में बायोडीजल की बिक्री हो रही है, इसके पहले जले हुए तेल से 22 रुपए के खर्च पर एक लीटर बायोडीजल बनाने परीक्षण पूरा हो चुका है।
एक साल पहले राजपत्र में नियम पारित
बायोडीजल बिक्री को लेकर एक साल पहले नियम राजपत्र में पारित किया गया है। इसके मुताबिक बायोडीजल पंप संचालित करने के लिए आवश्यक नियम तय किए गए हैं। इसी कड़ी में राज्य व केंद्रशासित प्रदेश के नागरिक आपूर्ति विभाग व अन्य संबंधित विभाग बायोडीजल पंप के लिए एनओसी जारी करेंगे। फूड विभाग को पंप के संचालन की जांच की पात्रता भी होगी।
दो हजार लीटर अकेले रायपुर में खपत
बायोडीजल की खपत के मामले में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अकेले रायपुर में ही 2000 लीटर की खपत है। हाईस्पीड डीजल की तुलना में यह प्रति लीटर 73 रुपए तक मिल रहा है। बड़े वाहनों के इंजन के लिए बायोडीजल इस्तेमाल तो हो रहा है, लेकिन नमूना जांच कहीं नहीं चल रही। प्रदेश में रोजाना 5 लाख लीटर बायोडीजल बाहर से लाकर सप्लाई किया जा रहा है।
शर्तों का पालन जरूरी
बेचे जा रहे बायोडीजल के नमूने की जांच जरूरी है। वैसे राजपत्र में नए नियम भी पारित किए गए हैं। बायोडीजल बेचने के लिए जरूरी है कि शर्ताें का पालन हो, वरना गड़बड़ी का अंदेशा हाे सकता है।
– अखिल धगट, अध्यक्ष, छग पेट्रोल पंप एसोसिएशन