नई दिल्ली : किसान आज सभी राज्यों के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंप रहे हैं. इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की अफवाह भी फैलने लगी. हालांकि, उन्होंने इन अफवाहों पर कहा कि “मेरी गिरफ्तारी की खबरें भ्रामक हैं. मैं गाजीपुर बॉर्डर पर हूं. सब सामान्य है. राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की खबरें सोशल मीडिया पर चलने लगी थी. कई लोग उनकी गिरफ्तारी का दावा कर रहे थे. हालांकि, खुद राकेश टिकैत और दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तारी को महज अफवाह बताया है. राकेश टिकैत ने ट्वीट कर भी अपनी गिरफ्तारी की खबरों को भ्रामक बताया है. इसके अलावा उन्होंने न्यूज एजेंसी से बातचीत में भी कहा कि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया है. पुलिस युधवीर सिंह नाम के शख्स को लेकर गई है और नाम को लेकर कुछ कन्फ्यूजन हो गया. वहीं, दिल्ली पुलिस की ओर से भी ट्वीट कर इसे फेक न्यूज बताया गया. दिल्ली पुलिस ने ट्वीट कर कहा कि राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की खबर झूठी है. पुलिस ने लिखा है कि उन्हें शक है ऐसी गलत खबरें सोशल मीडिया पर उड़ाकर माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है. राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की खबर किसान एकता मोर्चा के ट्विटर अकाउंट से बताई गई थी. हालांकि, 5 मिनट बाद ही इस ट्वीट को डिलीट कर दिया गया. किसान एकता मोर्चा ने अब सफाई दी है कि किसी न्यूज चैनल पर उनकी गिरफ्तारी की खबर चली थी.
आज फिर किसानों का बड़ा प्रदर्शन
कृषि आंदोलन को लेकर किसानों ने आज फिर बड़ा प्रदर्शन बुलाया है. इस दौरान देश के सभी राज्यों के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल को किसान ज्ञापन सौंप रहे हैं. ज्ञापन सौंपकर किसान कह रहे हैं कि अगर कानून वापस नहीं लिए गए तो जो आंदोलन 7 महीनों से चल रहा है, वो अगले 7 साल तक भी चलता रहेगा. दिल्ली में भी 6 किसान नेताओं ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को ज्ञापन सौंपा. किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, “सीधी-सीधी बात है- हम सत्याग्रही अन्नदाता के साथ हैं.”
किसान आंदोलन को आज 7 महीने पूरे
पिछले साल सितंबर में केंद्र सरकार ने खेती से जुड़े तीन कानून लागू किए थे. इन्हीं तीन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. आज किसान आंदोलन को 7 महीने पूरे हो गए हैं. किसान और सरकार के बीच 11 बार बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी. किसान चाहते हैं कि सरकार तीनों कानूनों को रद्द करे और MSP पर गारंटी का कानून लेकर आए. लेकिन सरकार का कहना है कि वो कानूनों को वापस नहीं ले सकती. अगर किसान चाहते हैं, तो उनके हिसाब से इसमें संशोधन किए जा सकते हैं.