रायपुर। अन्य सालों में जब आज 16 जून से स्कूलों का शैक्षणिक सत्र शुरू होता था तो स्कूल का ही नहीं बल्कि पालकों,बच्चों से लेकर शासन प्रशासन तक में भारी उत्साह रहता था। अब तो समारोह भी होने लगे थे तिलक लगाकर मिठाई खिलाकर इन बच्चों का स्वागत होता था। लेकिन इस साल स्कूल भी सूनी और क्लास रूम भी। क्लास में बच्चों की जगह अकेल टीचर बैठकर पढ़ा रही है। वजह केवल और केवल कोरोना काल। गाइडलाइन जारी है इसलिए पालन में स्कूल का शैक्षणिक सत्र शुरू होकर भी नहीं के बराबर है।
प्रदेश की सरकार हर साल शाला प्रवेशोत्सव जून-जुलाई के महीने में मनाती थी। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बच्चों को तिलक लगाकर स्कूल के पहले दिन स्वागत करते थे। जहां बच्चों का कोलाहल,कापी पुस्तक व यूनिफार्म के लिए मचता शोर,कहीं टिफिन खुलते तो कहीं आटो व स्कूल के हार्न गूंजते। लेकिन इस बार माहौल तो बदला हुआ नजर आ रहा था। नियमानुसार स्कूल खुले लेकिन स्टाफ व टीचर पहुंचे। कुछ ने आनलाइन परिचयात्मक बच्चों से इंट्रोड्यूस हुए। क्लास रूम के साथ बैंचों पर जमे धूल खाली ब्लैक बोर्ड की खामोशी बता रही थी कि नया सत्र शुरू होकर भी नहीं के बराबर है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए औपचारिकता निभाते दिखे सभी। खाली पड़ी क्लास रूम में मोबाइल लिए हुए कुछ शिक्षिकाएं दिखीं। जब तक शासन का गाइडलाइन नहीं आ जाता बच्चों को स्कूल नहीं बुलाया जायेगा।
खुलकर भी हैं बंद स्कूल -खाली क्लास रूम,केवल स्टाफ और टीचर पहुंचे
