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जगरगुण्डा में हुआ तेन्दूपत्ता संग्राहकों को नगद भुगतान

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  • नगद भुगतान के लिए ग्रामीणों ने जताया शासन का आभार
  • मंत्री श्री कवासी लखमा को दिया धन्यवाद

बालकृष्ण मिश्रा/ सुकमा : सुकमा जिले में वनोपज संग्रहण यहाँ की जनता की आय के मुख्य स्त्रोतों में से एक है। खासकर अंदरुनी क्षेत्रों में ग्रामीण तेन्दूपत्ता, महुआ आदि वनोपज का संग्रहण कर, वनोपत समितियों को विक्रय कर आय अर्जित करते हैं। सुकमा जिले में तेंदूपत्ता संग्राहकों को वनोपज सहकारी समितियों के द्वारा उनके पारिश्रमिक का नगद भुगतान किया जा रहा है। इसी तारतम्य में आज जिले के अतिसंवेदनशील क्षेत्र जगरगुण्डा में संग्राहकों को भुगतान किया गया। जगरगुण्डा क्षेत्र में 324 संग्राहकों द्वारा एक लाख 62 हजार 600 गड्डी तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया। जिसके लिए उन्हें शासन द्वारा निर्धारित 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा के दर से कुल 06 लाख 50 हजार 400 रुपए का भुगतान नगद माध्यम से किया गया।

मंत्री श्री लखमा के पत्र से नगद भुगतान की मिली मंजूरी
जिले में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के अधिकतर ग्रामीणों के पास बैंक खाते नही होने के कारण तेन्दूपत्ता संग्राहकों को आॅनलाईन भुगतान किया जाना संभव नहीं था। प्रदेश के उद्योग एवं आबकारी मंत्री श्री कवासी लखमा के प्रयासों से छत्तीसगढ़ शासन ने बस्तर संभाग के चार जिलों में तेन्दूपत्ता संग्रहण का नगद भुगतान करने की मंजूरी दी। उन्होंने प्रदेश में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर सुकमा जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए नगद भुगतान किए जाने का आग्रह किया, जिससे आज सुकमा जिले के साथ ही बिजापुर, नारायणपुर और कांकेर के तेन्दूपत्ता संग्राहकों के चेहरों पर खुशी है।

जिला पंचायत सदस्य श्रीमती आदम्मा मरकाम ने मुख्यमंत्री श्री बघेल सहित मंत्री श्री लखमा के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि नगद भुगतान होने से तेन्दूपत्ता संग्राहकों को घर पर ही संग्रहण पारिश्रमिक का लाभ मिल रहा है। अतिसंवेदनशील क्षेत्र होने के कारण जगरगुण्डा में आवगमन के सुचारू साधन उपलब्ध नही हंै, जिससे ग्रामीणों को दोरनापाल स्थित बैंक जाने में बहुत मुश्किल होती है। साथ ही बहुत से संग्राहकों के बैंक खाते भी नही हंै। अब तेंदूपत्ता संग्रहण के पारिश्रमिक का नगद भुगतान किए जाने से संग्राहकों को राहत मिली है। इस दौरान जनपद पंचायत के सदस्य एवं जनप्रतिनिधिगण भी उपस्थित रहे।

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