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मनरेगा की मजदूरी ग्रामीण अंचल में बरदान साबित हुआ

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मनमोहन सिंह/बैकुंठपुर। कोरोना के सेकेंड लहर में मनरेगा की मजदूरी ग्रामीण अंचल में बरदान साबित हुआ लाकडॉउन में भी लोगों को रोजगार उपलब्ध रहा रोजी रोटी की संकट में भटकने की जरूरत नही पड़ी लोग अपने ग्राम पंचायत में ही लाकडॉउन के अवसर पर मनरेगा के तहत कार्य करते रहे भारत मे कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया कई कई महीने लाकडॉउन में आम आदमी गरीबों के सामने रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ । लोगो को रोजगार के लिये भटकने की जरूरत नही पड़ी यहाँ तक कि प्राथमिकता पूर्वक प्रवाशी मजदूरों को भी मनरेगा में रोजगार उपलब्ध करवाया गया कोरोनकाल में कोरिया कलेक्टर सत्यनारायण राठौर के निर्देशानुसार जिला पंचायत सीईओ कुणाल दुदावत स्वयं मनरेगा के कार्यों पर नजर बनाये हुये है वहीं मौके स्थल का निरीक्षण भी करते हैं।कोरोना आपदा में हर हाँथ को रोजगार मुहैया कराना पहली प्राथमिकता है ताकि तिहाडी मजदूरों को भटकना ना पड़े कोरिया जिले में मनरेगा के तहत 40 हजार से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध है 988 कार्य ग्राम पंचायत स्तर पर प्रगतिरत है ।कार्यस्थल पर कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करवाया जा रहा है उचित दूरी के साथ हाँथ धुलाई सहित आवश्यक सुविधा के इंतजाम किये गये है ज्यादा संख्या में मजदूरों के होने पर दो पालियों में कार्य कराया जा रहा है।शासन के गाइडलाइंस के तहत लाकडॉउन जैसे कड़े निर्णय के समय भी कोरोना प्रोटोकॉल के साथ मनरेगा के कार्य अनवरत जारी रहा मजदूरी के बदले समय पर ऑनलाइन भुगतान से रोजी रोटी का संकट नही हुआ जिससे क्षेत्र में सराहना हो रही है कार्यस्थल पर 45 वर्ष से ऊपर के लोगो को कोरोना टीका भी लगवाया जा रहा।

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